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बिहार सरकार को भारी पड़ रही शराबबंदी : जब्त शराब रखने के लिए जगह नहीं

शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद बिहार में उत्पाद विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती जब्त की गई शराब की बोतलों की सुरक्षा को लेकर है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 08:55 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 06:47 PM (IST)

पटना [राज्य ब्यूरो]। अप्रैल में शराबबंदी लागू होने के समय किसी ने नहीं सोचा होगा कि आगे ऐसा मंजर आएगा। पर हालात ने उत्पाद विभाग का सिरदर्द बढ़ा दिया है। कानूनी प्रावधानों के कारण जब्त शराब की सुरक्षा विभाग की मजबूरी है और पौने चार महीनों में ही इतनी शराब जब्त हुई है कि उत्पाद विभाग के मालखाने भर गए हैं।

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शराब और ताड़ी को सुरक्षित रखने के लिए विभाग को अब निजी मकान किराए पर लेना पड़ रहा है। आगे और कड़ा कानून प्रस्तावित है और इसे लेकर अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं।

सजा के लिए जरूरी है बोतलों की सुरक्षा

उत्पाद विभाग के प्रवक्ता ओमप्रकाश मंडल ने बताया कि जब्त की जा रही शराब की बोतलों को सुरक्षित रखना अदालती कार्यवाही के लिए जरूरी है। ताकि शराबबंदी के कानून का उल्लंघन करने वालों को नए उत्पाद अधिनियम के तहत अदालत से सजा दिलाई जा सके। इसके लिए उत्पाद विभाग तकरीबन सभी जिलों में जब्त शराब की बोतलों को सुरक्षित रखने के लिए किराए के मकान की व्यवस्था कर रहा है।

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विभागीय अधिकारियों को चिंता है कि अगर सुनवाई लंबी चली या अदालती प्रक्रिया में विलंब हुआ तो जब्त बोतलों की सुरक्षा ही उसके लिए सिरदर्द बन जाएगी।

हर जेल में हैं शराबबंदी का उल्लंघन करने वाले

आंकड़े बता रहे हैं कि राज्य के सभी 58 केंद्रीय, मंडल व उपकारा शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने वालों से भरे पड़े हैं। पिछले चार महीने में ही करीब नौ हजार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। यह स्थिति तब है जब घर में शराब रखने के अधिकतर आरोपियों को अदालत से जमानत दे दी गई है।

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नए कानून के बाद और बिगड़ेगी स्थिति

प्रस्तावित नए उत्पाद अधिनियम, 2016 में शराब रखने के अपराध को गैर जमानती बनाए जाने के बाद जेलों में कैदियों की भीड़ और बढऩे वाली है। अबतक उत्पाद विभाग 4747 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुका है जबकि पुलिस ने भी 4166 लोगों को गिरफ्तार किया है।


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