मोरी बिंदिया निहारे दगाबाज सजना..
मोरी बिंदिया निहारे दगाबाज सजना..जैसे गीतों से इलाहाबाद की सुगम संगीत गायिका डॉ. रंजना त्रिपाठी ने रविवार को राजधानी वाटिका में आयोजित संगीत संध्या में दर्शकों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया।
पटना। मोरी बिंदिया निहारे दगाबाज सजना..जैसे गीतों से इलाहाबाद की सुगम संगीत गायिका डॉ. रंजना त्रिपाठी ने रविवार को राजधानी वाटिका में आयोजित संगीत संध्या में दर्शकों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। संगीत संध्या की शुरुआत होते ही दर्शकों की भीड़ जमा होने लगी।
इसके बाद शुरू हुई गीतों की बरसात। कभी चांद आंगन से झांके, कभी बादलों में छिप जाए..जैसे गाने पर खूब तालियां बंटोरीं। धीमी-धीमी रात मुस्कुराती है, चांदनी रात गुनगुनाती है, मुझे खबर नहीं रहती जब तेरी आवाजें आती है.. जैसे गाना से समां बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत भजन से हुई। पूरब दिशा से पंथ चला, जैसे सूई में धागा.. को दर्शकों की मांग पर दो बार गाना पड़ा। तुलसी दास की रचना से मैं न जिऊं राम, जननी..सहित कई भजन से लोगों का मनोरंजन कराया। एक से एक गजल गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मेरा दामन बहुत साफ है, कोई तोहमत लगा दीजिए..। कार्यक्रम का आयोजन कला संस्कृति एवं युवा विभाग की संगीत नाटक अकादमी की ओर आयोजन किया गया। चालू वित्तीय वर्ष का अंतिम कार्यक्रम था। अब नए वित्तीय वर्ष में संगीत संध्या का आनंद दर्शक ले सकेंगे।
सांस्कृतिक संध्या में संगीत नाटक अकादमी के तारानंद महतो, सेवानिवृत्त आईएएस डीएम झा, डीएफओ मिहिर कुमार झा, रेंज ऑफिसर सुबोध कुमार गुप्ता सहित राजधानी वाटिका में भ्रमण करने वाले दर्शकों ने आनंद उठाया।