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पटना में 'भूकंप' के जोरदार झटके, भागे लोग! जानिए क्या है मामला...

पटना में अपराह्न तीन बजकर 12 मिनट पर भूकंप का जोरदार झटका महसूस किया गया। बड़ी-बड़ी इमारतें भरभराकर गिरने लगीं। विकास भवन स्थित सचिवालय में अफरातफरी मच गई। यह विकास भवन में आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से आयोजित 'मॉकड्रिल' था।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2015 07:58 PM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2015 06:37 PM (IST)

पटना। पटना में अपराह्न तीन बजकर 12 मिनट पर भूकंप का जोरदार झटका महसूस किया गया। बड़ी-बड़ी इमारतें भरभराकर गिरने लगीं। विकास भवन स्थित सचिवालय में अफरातफरी मच गई। लोगों को सायरन बजाकर अलर्ट किया जाने लगा। अपने-अपने दफ्तरों से निकल कर लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।

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सबको जान बचाने की बेताबी थी। जिसे जिधर मौका मिल रहा था, वह उधर ही भाग रहा था। इसी आपाधापी में सहकारिता विभाग के 67 कर्मचारी गायब हो गए।

घबराइए नहीं, ऐसा सच में नहीं हुआ, बल्कि यह बुधवार को विकास भवन में आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से आयोजित 'मॉकड्रिल' था। मुख्यमंत्री को भी इसे लाइव देखना था, किंतु उनकी अनुपस्थिति में आपदा विभाग के मंत्री चंद्रशेखर, खान एवं भूतत्व मंत्री मुनेश्वर चौधरी, खेल एवं कला संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अनिल कुमार सिन्हा, आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव व्यासजी के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारियों ने देखा। इसमें करीब तीन हजार लोगों ने शिरकत की।

पटना में अबतक का यह सबसे बड़ा मॉकड्रिल था। एसडीआरएफ के 635 और एनडीआरएफ के 210 जवान बचाव कार्य में लगाए गए थे। शिक्षा विभाग के सभा कक्ष को कंट्रोल रूम बनाकर मॉकड्रिल का सीधा प्रसारण किया जा रहा था। मंत्री और अधिकारी लाइव देख रहे थे कि आपदा आने पर कर्मचारी कैसे बचते हैं।

कुर्सी खाली देख मंत्री खफा

आपदा के प्रति जागरूक और बचाव के उपाय सिखाने के लिए इतने बड़े मॉकड्रिल में लोगों की कम भागीदारी से मंत्री चंद्रशेखर खफा हो गए। मंत्री कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे और सामने की कुर्सियां खाली थीं। उन्होंने कहा कि हजारों खाली कुर्सियों के बीच में बैठे हुए कुछ लोग शाबाशी के हकदार हैं। आपके साथी जो नहीं आए हैं, उन्हें जाकर बताइए कि भूकंप आने पर क्या-क्या करें। जिन्हें जागरूक करने के लिए आयोजन किया गया, वही गायब हैं।

कहा, अप्रैल में आए भूकंप के दौरान बच्चे दहशत में थे, वे बचाव के बारे में जानना चाहते हैं, लेकिन बुजुर्ग लापरवाह हैं। कम से कम अपने बच्चों के लिए सतर्क हो जाइए। हम फिर छह महीने बाद ऐसा ही आयोजन करने वाले हैं। सवा लाख स्कूलों और गांव-गांव तक जाएंगे।


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