लालू के मांझी कार्ड से गठबंधन में खटास
बीस वर्षों बाद मिलने पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने पिछले साल जो उत्साह दिखाया था, वह धीरे-धीरे गायब होने लगा है। दोनों के रिश्ते में खटास आने लगी है, जिसके कारण विधानसभा चुनाव के लिए आपसी गठबंधन का आकार लेना प्रभावित हो रहा है।
पटना [एसए शाद]। बीस वर्षों बाद मिलने पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने पिछले साल जो उत्साह दिखाया था, वह धीरे-धीरे गायब होने लगा है। दोनों के रिश्ते में खटास आने लगी है, जिसके कारण विधानसभा चुनाव के लिए आपसी गठबंधन का आकार लेना प्रभावित हो रहा है।
यह स्थिति लालू प्रसाद द्वारा गठबंधन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को शामिल करने के प्रयास से उत्पन्न हुई है। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद पटना में रहने के बावजूद एक दूसरे से नहीं मिल रहे। दोनों ने मंच साझा करना भी बंद कर रखा है।
तीन माह पहले ही लालू प्रसाद मुख्यमंत्री पद से दलित नेता जीतन राम मांझी को हटाने के लिए नीतीश कुमार के कंधे से कंधा मिलाकर चलते दिखे थे, लेकिन दलितों के करीब 20 प्रतिशत वोट ने उनकी सोच बदल दी और वह मांझी पर पांसा फेंकने में जुट गए हैं। सूत्रों की मानें तो राजद नीतीश कुमार की जगह गठबंधन के नेता के रूप में मांझी को अधिक तरजीह दे रहा है।
राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने सोमवार को यह मंशा एक प्रकार से उजागर भी कर दी। उनके मुताबिक नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता बनाने से नुकसान होगा। किसी नए व्यक्ति को नेता बनाया जाए। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि हर बात जदयू की ही हो, यह नहीं चलेगा। वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार अब कांग्रेस की ओर अधिक झुकाव दिखाने लगे हैं।
सोमवार को राजद से गठबंधन के सवाल पर तो वह चुप्पी साध गए, लेकिन कांग्रेस से तालमेल को पक्का करार दिया। विधानसभा चुनाव के लिए अब जो स्थिति बनती जा रही है वह कल तक भाजपा एवं सहयोगी दलों की जदयू, राजद, कांग्रेस एवं राकांपा गठबंधन से सीधी टक्कर की जगह चौमुखी संघर्ष की बनती जा रही है। भाजपा एवं सहयोगी, राजद एवं सहयोगी, जदयू एवं कांग्रेस के अलावा चौथा कोना वाम मोर्चा का सामने आता दिख रहा है।
हालांकि पर्यवेक्षकों का मानना है कि गठबंधन के दो महत्वपूर्ण अंग-किसके नेतृत्व में चुनाव हो और कौन कितनी सीटों पर लड़े, के लिए प्रेशर गेम है। राजद पर दबाव बनाने के लिए नीतीश कुमार ने पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की और अब वे कांग्रेस को अचानक अधिक महत्व देने लगे हैं। हालांकि बिहार में कांग्रेस अभी खुद अपनी खोई जमीन की तलाश में है।
वहीं राजद की ओर से मांझी का नाम लिया जाना अधिक सीटों के लिए दबाव बनाया जाना है। तल्ख हो चुके रिश्ते में मिठास घोलने के लिए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने खुद से मोर्चा संभाला है।
उन्होंने रविवार रात्रि लालू प्रसाद से करीब सवा घंटे तक बातचीत की, लेकिन यह वार्ता उलझी हुई डोरों को सुलझा नहीं पाई। शरद यादव अब अगले सप्ताह दोबारा लालू प्रसाद से मुलाकात करेंगे, लेकिन इस बीच जहां भाजपा एवं सहयोगी दल विधानसभा चुनाव से पूर्व लगातार आपसी समन्वय का प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं उनका मुकाबला करने का दावा कर रही जदयू, राजद एवं कांग्रेस जैसी पार्टियां अलग-अलग राग अलाप रही हैं।