उम्मीद से देखता हूं नए कवियों की ओर : केदारनाथ सिंह
नए कवियों के लेखन में नयापन अनिवार्य तत्व
पटना ( मृत्युंजय)। नए कवियों के लेखन में नयापन अनिवार्य तत्व है। मैं तो उनकी ओर बड़ी उम्मीद से देखता हूं। कवियों को यह रास्ता हिन्दी के वरिष्ठ कवि और हाल ही में ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजे गए केदारनाथ सिंह ने ‘दैनिक जागरण’ से विशेष बातचीत में कही।
उन्होंने कहा कि नएपन की आहट भाषा से ही होती है और कविता भाषा को लोक व्यवहार तक पहुंचाती है। नई पीढ़ी की रचानाओं में भाषा के रंग का होना बेहद जरूरी है। भोजपुरी की हिमायत करते हुए केदारनाथ सिंह ने कहा कि भोजपुरी के साथ सारी भारतीय भाषाओं को संवैधानिक दर्जा दे देना चाहिए। संविधान की अष्टम सूची को संशोधन कर उसे खत्म ही कर देना चाहिए। हां ऐसा किया जा सकता है कि जनसंख्या के आधार पर उसका वर्गीकरण किया जा सकता है जिससे उसे सरकार की तरफ मिलने वाला अनुदान तय हो सके। कविता के राजनैतिक सरोकार के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि राजनीति से अलग कोई नहीं रह सकता। राजनीति समाज के ताने-बाने को बुनती है। इसलिए कविता में तत्कालीन राजनीति का अक्स तो दिखना ही चाहिए।