Move to Jagran APP

पटना की पगडंडी से नालंदा में आयुद्ध निर्माण तक डॉ.कलाम

मिशन बिहार 2020 का सपना बुनने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पटना जिले के पालीगंज प्रखंड के खेतों की पगडंडियों पर किसानों को लगातार आगे बढऩे की प्रेरणा दी थी। आठ जनवरी 2008 को अपनी बिहार यात्रा के दौरान वे पालीगंज में थे।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 08:06 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 08:15 AM (IST)
पटना की पगडंडी से नालंदा में आयुद्ध निर्माण तक डॉ.कलाम

पटना [जितेन्द्र कुमार]। मिशन बिहार 2020 का सपना बुनने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पटना जिले के पालीगंज प्रखंड के खेतों की पगडंडियों पर किसानों को लगातार आगे बढऩे की प्रेरणा दी थी। आठ जनवरी 2008 को उन्होंने पालीगंज में कहा था कि यहां के किसान कृषि के अपने अनुभवों से पूरे बिहार को लाभान्वित करें। टाइफेक की तरफ से पालीगंज कृषि केंद्र सभागार में 'पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम किसान वार्ता' में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे।

loksabha election banner

इससे पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में डॉ. कलाम 30 मई 2003 को नालंदा की यात्रा पर आए थे। पावापुरी में भगवान महावीर की निर्वाण भूमि और जल मंदिर का दर्शन कर पंच पहाडिय़ों के बीच राजगीर में बन रहे आयुद्ध निर्माणी का निरीक्षण किया था। रक्षा विशेषज्ञों के साथ आयुद्ध निर्माणी में कैलिबर 150 के गुर बताए थे। राजगीर परिसदन में उन्होंने लंच लिया, इसमें सादी रोटी, पीली दाल, भिंडी दो प्याजा और दही परोसा गया था।

नालंदा विश्वविद्यालय भ्रमण के बाद डॉ. कलाम ने हरनौत में रेल कोच कारखाने का शिलान्यास किया और राष्ट्रपति विशेष ट्रेन से पटना लौटे थे। नालंदा में एक साथ पांच कार्यक्रमों में शामिल होना, यादगार बनकर रह गया है।

19 जनवरी 2007 को राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ग्लोबल मीट में हिस्सा लेने आने आए थे। गृह, कार्मिक आदि विभागों ने अपने अधिकारियों के नाम कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आदेश जारी किया था। श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में ठीक 5.30 बजे उन्होंने सरकारी विभागों के अफसरों को संबोधित किया था।

डॉ. कलाम ने दिया था विकास के लिए ज्ञान आधारित समाज बनाने पर जोर

'व्यक्ति, परिवार, समाज, प्रदेश, देश और विश्व के विकास के लिए ज्ञान आधारित समाज का निर्माण करना होगा। ज्ञान आधारित समाज ही किसी देश के लिए सघन संपदा का निर्माण कर सकता है। इसी से शिक्षा, स्वास्थ्य और संरचनाओं को बेहतर बना कर जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है। इन्हें पाने के लिए ज्ञान के साथ साहस, अदम्य जिजिविषा और स्वयं में अटूट विश्वास का संचार आवश्यक है। इन सब गुणों को अपनाने के बाद बिहार फिर ज्ञान के क्षितिज के सबसे चमकीले नक्षत्र के रूप में अपना स्थान हासिल कर लेगा। यही मेरा संदेश है।'

- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

(8 फरवरी 2008, स्थान - श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल, पटना)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.