जदयू के बागी विधायकों का विधानसभा के बाहर धरना समाप्त, पढ़ें...
पटना हाइकोर्ट से विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति मिलने के बाद कोर्ट के फैसले की कॉपी रिसीव नहीं किए जाने के कारण जदयू के बागी विधायक विधानसभा के बाहर धरने पर थे। आज फैसले की कॉपी रिसीव कर लिए जाने के बाद उन्होंने धरना समाप्त कर दिया।
पटना। हाइकोर्ट से विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति मिलने के बाद विधानसभा में कोर्ट के फैसले की कॉपी रिसीव नहीं किए जाने के कारण जदयू के बागी विधायक विधानसभा के बाहर शुक्रवार से धरने पर बैठे थे। आज सुबह विधानसभा के सचिव ने उनसे कोर्ट के फैसले की कॉपी रिसीव कर ली। इसके बाद उन्होंने अपना धरना समाप्त कर दिया।
बागी विधायकों का कहना था कि जबतक विधानसभा में कोर्ट के फैसले की कॉपी रिसीव नहीं होगी, तबतक वे धरने पर बैठे रहेंगे।
पटना हाई कोर्ट ने आज जदयू से निष्कासित विधायकों राजू कुमार सिंह, अजीत कुमार, पूनम देवी एवं सुरेश चंचल के मामले में शुक्रवार को अपना फैसला दे दिया। ये चारों विधायक तीन अगस्त से चलने वाले विधानसभा सत्र में भाग ले सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि जदयू से निष्कासित चार अन्य विधायकों (ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज बबलू, रवींद्र राय एवं राहुल कुमार) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई हो चुकी है। अदालत उन चारों को राहत प्रदान करते हुए सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दे चुकी है।
गुरुवार को हाई कोर्ट के न्यायाधीश राकेश कुमार की पीठ द्वारा सुनवाई के दौरान इस फैसले का उल्लेख राहत के लिए आधार के रूप में किया गया। अदालत से अनुरोध किया गया कि इनका मामला भी ज्ञानू व अन्य विधायकों के समान है, इसलिए इन्हें अंतरिम राहत देते हुए विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।
इसके विरोध में विधानसभा एवं राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सभी निष्कासित विधायक दल-बदल कानून के दायरे मे आते हैं। इनपर राज्यसभा के लिए उपचुनाव के दौरान पार्टी के घोषित उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा करने का आरोप है। ये निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रस्तावक बन गए। ऐसा करना संविधान की 10वीं अनुसूची के पैरा 2(1) (ख) का उल्लंघन है।
इसपर गुरुवार को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार सुबह अदालत ने निष्कासित विधायकों को विधानसभा सत्र में शामिल होने की अनुमति दे दी। इस फैसले की कॉपी विधानसभा में रिसीव कराने चारों विधायक शुक्रवार को विधानसभा गए थे। वहां सचिव ने इसे रिसीव करने से इन्कार कर दिया था। तब से वे धरने पर बैठे थे।