Move to Jagran APP

बिहार में कई साल से चल रहा था नौकरी बेचने का 'धंधा', जानिए

बिहार में नौकरी बेचने का गोरखधंधा कई वर्षों से चल रहा था। मोटी रकम लेकर अवैध तरीके से लोगों को नौकरी दी जाती थी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 12:39 PM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2017 11:50 PM (IST)
बिहार में कई साल से चल रहा था नौकरी बेचने का 'धंधा', जानिए
बिहार में कई साल से चल रहा था नौकरी बेचने का 'धंधा', जानिए

पटना [जेएनएन]। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) का दफ्तर रुपये लेकर नौकरी देने का अड्डा बन गया था। तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार और सचिव परमेश्वर राम मोटी रकम लेकर नौकरी देने का धंधा चला रहे थे। केवल इंटरस्तरीय प्रतियोगी परीक्षा में ही नहीं, बल्कि वर्ष 2014 से अब तक आयोग द्वारा ली गईं सभी परीक्षाओं में खुलकर धांधली हुई। दलालों के माध्यम से प्रश्नपत्रों और आंसर-की के बदले रुपये वसूले गए, जिसका हिस्सा अध्यक्ष और सचिव तक पहुंचा। इसका खुलासा एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में किया है।

loksabha election banner

अध्यक्ष ने परमेश्वर को दिए थे प्रश्नपत्र 
पूछताछ में परमेश्वर ने पुलिस को बताया था कि आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार के पास बिहार कंबाइंड इंट्रेंस कम्पटीटीव एग्जामिनेशन बोर्ड के नियंत्रक हैं और वह आइएएस भवन स्थित बोर्ड के कार्यालय में बैठते हैं। सीलबंद प्रश्नपत्र आइएएस भवन में ही रखे गए थे। उन्होंने ही मुझे प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए थे। यहां तक कि प्रश्नपत्र वायरल होने की खबर प्रकाशित होने पर अध्यक्ष ने समाचारपत्रों में मेरे माध्यम से खंडन भिजवाया था।

इन पदों पर होनी थी नियुक्ति
इंटरस्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के उपरांत वनरक्षी, आशु सहायक अवर निरीक्षक, टंकक, सहायक अवर निरीक्षक, आशु लिपिक, निम्नवर्गीय लिपिक, पंचायत सचिव, राजस्व कर्मचारी आदि पदों पर नियुक्ति होनी थी।

यह भी पढ़ें:  BSSC SCAM में फंसे मंत्रियों के अजबोगरीब बयान- एेसा होता रहता है

कहा था, नहीं जानता हूं प्रिंटिंग प्रेस के बारे में
परमेश्वर ने पूछताछ में बताया था कि उसे उस प्रिंटिंग प्रेस के बारे में कुछ जानकारी नहीं है, जहां इंटरस्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्नपत्र छपे थे जबकि परमेश्वर के मोबाइल से पता चला कि वह प्रिंटिंग प्रेस के मालिक विनीत कुमार के लगातार संपर्क में था। ओएमआर शीट की छपाई व मूल्यांकन करने का ठेका लेने वाला आनंद बरार से भी उसकी बातचीत होती थी।

घर से सीलबंद प्रश्नपत्र मिलने का जवाब नहीं दे पाए सुधीर

एसआइटी ने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार जब यह सवाल किया कि आपके घर से सीलबंद प्रश्नपत्र मिले हैं। इस पर आपका क्या कहना है? तो सुधीर कुमार ने जवाब दिया - उसे कोई हमारे कैंपस में फेंक गया होगा। जैसे-जैसे इंविजिलेटर हैं, उनके बारे में मैं क्या कहूं? इसे हमारे घर में प्लांट किया गया है। जब एसआइटी ने पूछा कि वह कौन हो सकता है? तो सुधीर का जवाब था, कोई सेंटर सुप्रिंडेंटेड होगा, जिससे हमारी पुरानी दुश्मनी हो।

यह भी पढ़ें: BSSC SCAM में बड़ा खुलासा, कई मंत्रियों व विधायकों के नाम उजागर

प्रश्नपत्र की छपाई का समय व तारीख नहीं बता पाए सुधीर
जब एसआइटी ने सुधीर कुमार से प्रश्नपत्र की छपाई का समय और तारीख के बारे पूछा तो उनका जवाब था, ये हमको नहीं पता। जैसे-जैसे परीक्षा होती है प्रिंटर प्रश्नपत्र उपलब्ध करवा देता है। उसका यही सिस्टम है। जब उनसे पूछा गया कि उसके शुद्धिकरण के लिए जांच भी होती है और ये जांच कौन करता है? इस पर सुधीर कुमार ने कहा, ऐसा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रश्नपत्र की मास्टर कॉपी ई-मेल से भी प्रिंटर द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जाती।

पूछा, प्रश्न कौन सेट करता है?
अध्यक्ष का जवाब - प्रश्नपत्र सेट करने की जवाबदेही अध्यक्ष की है कि वह अपनी पहचान छुपाते हुए सेटर से संपर्क करे। इस परीक्षा के प्रश्न दिल्ली स्थित आइआइटी के फैकल्टी या किसी से करवाया गया होगा।

ऐसे मिले थे एसएमएस
परमेश्वर को मिले एसएमएस में एएनएम अभ्यर्थी के नाम, पिता अथवा पति का नाम, रोल नंबर, काउंसलिंग की तिथि और समय का उल्लेख किया गया था। एसएमएस भेजने वाले ने सभी जानकारी देने के बाद लिखा - प्लीज लुक इनटू इट ऐज इट इज इंपॉर्टेंट, रिगाड्र्स (कृपया इस पर ध्यान देंगे यह महत्वपूर्ण है, सादर)। ऐसे कुल 115 एसएमएस परमेश्वर को भेजे गए थे। परमेश्वर के मोबाइल में एक नंबर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के नाम से सेव है।

एएनएम के लिए इन नेताओं ने की पैरवी
नेता का नाम और जिनकी की पैरवी
- पूर्व केंद्रीय मंत्री व राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह - प्रियंका कुमारी (31619751)
- कानून व पीएचईडी मंत्री कृष्णनंदन वर्मा - सुलेखा सिन्हा (31618661)
- सहकारिता मंत्री आलोक मेहता - बेबी कुमारी (31615417)
- भाजपा विधायक सुरेश कुमार शर्मा - रेणु कुमारी (31613709)
- जदयू विधायक रामबालक सिंह - सरिता कुमारी (31615041)
- पूर्व मंत्री संजीव प्रसाद टोनी - खुशबू कुमारी (31614904)

यह भी पढ़ें:  BSSC SCAM : अब सेटिंग से नियुक्त एएनएम भी जाएंगी जेल

समाचारपत्रों को खंडन पड़ा महंगा
प्रश्नपत्र और आंसर-की लीक होने के बाद जब मीडिया ने आवाज उठाई तो परमेश्वर ने उसे दबाने की हरसंभव कोशिश की। परमेश्वर ने पद पर रहते हुए समाचारपत्रों को खंडन प्रकाशित करने के लिए पत्र भेजा, जिसमें उसने दावा किया था कि प्रश्नपत्र लीक नहीं हुए हैं। हालांकि दूसरे चरण की परीक्षा के बाद जब एसआइटी ने प्रश्नों के जवाब का वायरल आंसर-की से मिलान कराया तो वह हू-ब-हू मेल खा गए। समाचारपत्रों को भेजा गया पत्र भी उसके खिलाफ ठोस साक्ष्य है।

दफ्तर में आमने-सामने बात नहीं करते थे अविनाश और परमेश्वर
परमेश्वर राम ने डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश कुमार को दफ्तर में आमने-सामने बात करने से मना कर रखा था। दोनों एक ही कार्यालय में रहते थे। बावजूद इसके वे एक-दूसरे से मोबाइल पर बातें करते थे। जानकारी परमेश्वर और अविनाश के मोबाइल की कॉल डिटेल और टावर लोकेशन से मिली। पूछने पर अविनाश ने बताया कि परमेश्वर ने इसलिए मना किया था, ताकि प्रश्नपत्र लीक होने की बात सार्वजनिक न हो जाए।

यह भी पढ़ें:  BSSC SCAM : निलंबित अध्यक्ष के घर मिले पेपर लीक के अहम सबूत, जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.