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राजधानी में चेचक के वायरस ने पसारे पांव

राजधानी के अधिसंख्य मोहल्लों में चेचक का प्रकोप काफी बढ़ गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 03:02 AM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2017 03:02 AM (IST)
राजधानी में चेचक के वायरस ने पसारे पांव
राजधानी में चेचक के वायरस ने पसारे पांव

पटना। राजधानी के अधिसंख्य मोहल्लों में चेचक का प्रकोप काफी बढ़ गया है। बच्चे तेज बुखार के साथ इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं। बुखार के बाद चेहरे और पेट में लाल दाने निकल रहे हैं। पिछले दो दिन में अस्पतालों में काफी संख्या में चेचक के मरीज पहुंच रहे हैं। अधिसंख्य मरीज स्लम बस्तियों के हैं।

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राजधानी के न्यू गार्डिनर अस्पताल में कमला नेहरूनगर, मंदिरी, चिन्ना कोठी एवं बुद्धा कॉलोनी से चेचक के शिकार बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसके अलावा दीघा मुसहरी, मखदुमपुर, कुर्जी, मैनपुरा, शास्त्रीनगर एवं राजीवनगर से भी काफी संख्या में चेचक के शिकार बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं।

न्यू गार्डिनर अस्पताल के निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिंहा का कहना है कि तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव के कारण चेचक के वायरस तेजी से फैल रहा है।

राजधानी के कमला नेहरुनगर में रहने वाली कुंती देवी की चार वर्षीय बेटी मालती दो दिनों से बुखार से पीड़ित है। रविवार को न्यू गार्डिनर अस्पताल पहुंची तो बताया गया कि उसके बच्चे को चेचक है। उसके बाद डॉक्टरों ने दवा दी। इसी तरह चिना कोठी की रहने वाली बेबी की तीन वर्षीय बेटी मुस्कान भी तेज बुखार से पीड़ित है। उसे कल से ही बुखार है। उसके पेट में लाल-लाल दाने भी निकल आए हैं। इसी तरह कई बच्चे चेचक से गंभीर रूप से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।

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घरों की साफ-सफाई पर दे विशेष ध्यान

डॉ. मनोज सिंहा का कहना है कि चेचक से बचाव के लिए वस्त्र, घर और आसपास के इलाके की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। बच्चों कोपहनाए जाने वाले वस्त्र को गर्म पानी में डालकर कम से कम आधा घंटा रखें, उसके बाद कपड़ों की अच्छी तरह सफाई करें। बेडसीट को भी गर्म से धोएं।

सरकारी अस्पतालों में नहीं है चेचक का टीका

सरकारी अस्पतालों में चेचक का कोई टीका उपब्लध नहीं है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में चेचक का टीका शामिल नहीं किया गया है। बाजार में चेचक का टीका मौजूद है।

होमियोपैथी में है बचाव की दवा

होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में चेचक से बचाव की दवा मौजूद है। वरिष्ठ होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ. एएन सिंह का कहना है कि होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में एक दवा आती है, जिससे चेचक से बच्चों को बचाया जा सकता है। डॉ. सिंह का कहना है कि नीम की पत्ती से भी चेचक पर काफी नियंत्रण होता है। घर के दरवाजे या खिड़कियों पर नीम की पत्ती सहित टहनी टांग देने से चेचक के वायरस नष्ट हो जाते हैं। नीम की पत्ती उबालकर कर घर के आसपास छिड़काव करने से भी इसके वायरस नियंत्रित रहते हैं।

सहजन के उपयोग से मिलता लाभ

डॉ. एएन सिंह का कहना है कि सहजन से चेचक को नियंत्रित करने में काफी मदद मिलती है। सब्जी के लिए सहजन का उपयोग किया जाए तो बहुत हद तक इस बीमारी से बचा जा सकता है। सहजन की पत्ती घर के दरवाजे के पास रखने से भी बचाव होता है।

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