नो इंट्री में घुसी गाड़ी तो थाना होगा जिम्मेवार
पटना । थाना का काम केवल विधि-व्यवस्था बनाए रखना और अनुसंधान करना ही नहीं है, बल्कि ट
पटना । थाना का काम केवल विधि-व्यवस्था बनाए रखना और अनुसंधान करना ही नहीं है, बल्कि ट्रैफिक का संचालन कराना भी पुलिसिंग का हिस्सा है। थानों के पास गश्ती वाहन हैं, जिससे पुलिस पदाधिकारी बल के साथ इलाके में घूमते हैं। नियमों का उल्लंघन कर 'नो इंट्री' जोन में जब बड़े वाहन प्रवेश कर रहे हैं तो उन्हें रोकना भी थाना पुलिस की जिम्मेदारी है। अगर किसी इलाके में अवैध रूप से बड़े वाहन प्रवेश करेंगे तो संबंधित थाने के थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।
हादसे को देते हैं नियंत्रण :
रात के नौ बजे के बाद ट्रैफिक पुलिस सड़कों पर दिखाई नहीं देती। इसके बाद बड़े वाहन नो इंट्री जोन में प्रवेश कर जाते हैं और बेतरतीब ढंग से परिचालन करते हैं। इसकी वजह से एक सप्ताह में औसतन तीन लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर रहे हैं। अगर थाना पुलिस अपने इलाके की नो इंट्री जोन में वाहनों का प्रवेश न होने दे तो कई की जान बच सकती है।
जाम का कारण बनते हैं बड़े वाहन :
अक्सर देखा गया है कि जल्दी निकलने की होड़ में बड़े वाहन विशेषकर हाइवा कभी पोल तो कभी दीवार से टकरा जाते हैं। कई ट्रक गुल्ला आदि टूट जाने के कारण सड़क पर खड़े हो जाते हैं। वैसे तो बड़े वाहन ज्यादातर रात के वक्त प्रवेश करते हैं, लेकिन दुर्घटनाग्रस्त अथवा तकनीकी खराबी होने की वजह से जहां-तहां खड़े हो जाते हैं और सुबह सड़कों पर जाम लग जाता है। आमतौर पर ऐसी स्थिति मीठापुर बस स्टैंड के आसपास के क्षेत्रों और ओल्ड बाइपास पर देखने को मिलती है।
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कोट :
नो इंट्री में वाहनों का प्रवेश रोकना भी थाना पुलिस की जिम्मेवारी है। इस संबंध में एसएसपी को पत्राचार किया जाएगा। थानाध्यक्षों के साथ बैठक कर बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएंगे, ताकि शहर के अंदर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी आए।
- पीके दास, ट्रैफिक एसपी।