शिकायत को दिया फरियाद का नाम, लगवाया था घंटा, मानवाधिकार ने तरेरी आंख
बिहार मानवाधिकार आयोग ने वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी व सीआइडी (कमजोर वर्ग) के एडीजी अरविंद पांडेय से उनके 'जहांगीरी घंटे' को लेकर सफाई मांगी है।
पटना। बिहार मानवाधिकार आयोग ने वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी व सीआइडी (कमजोर वर्ग) के एडीजी अरविंद पांडेय से उनके 'जहांगीरी घंटे' को लेकर सफाई मांगी है। आयोग के अध्यक्ष व ओडिशा हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश बिलाल नजकी ने अरविंद पांडेय को नोटिस भेजकर पूछा है कि इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में आखिर वह कौन सी स्थिति हो गई कि पीडि़तों की शिकायत को उन्होंने फरियाद जैसे शब्द से जोड़ दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने पीडि़तों को अपने घर की चौखट पर बुलाकर उन्हें फरियाद लगाने पर मजबूर किया। आयोग ने पांडेय से पूछा है कि उनके इस कृत्य को क्यों नहीं एक सभ्य व लोकतांत्रिक समाज के नागरिकों के मानवाधिकार हनन के रूप में देखा जाए? आयोग ने पांडेय को इसका जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है।
दरभंगा का जोनल आइजी रहते हुए अरविंद पांडेय ने अपने सरकारी आवास में एक ऐसा घंटा लगवाया था जिसे बजाकर कोई भी पीडि़त व्यक्ति आइजी से न्याय की गुहार लगा सकता था। अरविंद पांडेय ने इस घंटे को मुगल शासक जहांगीर के 'फरियादी घंटे' के रूप में मीडिया के बीच प्रचारित किया था। गौरतलब है कि अरविंद पांडेय को दरभंगा के आइजी के पद से हटे करीब डेढ़ साल से अधिक का समय बीत चुका है, फिर भी आयोग ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है।
आयोग का कहना है कि इस लोकतांत्रिक देश में किसी भी नौकरशाह या किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी पीडि़त को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए अपने घर के दरवाजे पर बुलाए। आयोग ने इसे एक पुलिस अधिकारी की सामंती सोच के रूप में लिया है, क्योंकि एक पुलिस अधिकारी को यह पता होना चाहिए कि पिछले तीन सौ वर्षों में देश और दुनिया की शासन-व्यवस्था में बड़े बदलाव आए हैं। हम भारत में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में रह रहे हैं और इस व्यवस्था में अगर किसी के साथ अन्याय होता है तो वह इसके लिए अपनी शिकायत दर्ज कराता है नहीं कि किसी अधिकारी से फरियाद करता है।