कैसे स्टांप बेचने वाले का बेटा बन गया अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह?
मोहम्मद शहाबुद्दीन, अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह। एक स्टांप बेचने वाले का बेटा शहाबुददीन जिसके नाम से आज भी लोगों की रुह काम उठती है आखिर कैसे बना अपराधी?....जानिए।
पटना [काजल]। सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन के मामले में अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने शहाबुद्दीन की जमानत याचिका को रद करते हुए तत्काल उसे जेल भेजने का आदेश दिया। कुछ ही देर बाद शहाबुद्दीन ने आत्मसमर्पण किया और उसे जेल भेज दिया गया।
शहाबुद्दीन, जो बिहार में दहशत का दूसरा नाम है। सीवान के डॉन और आरजेडी के नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन जिन्हें सिवान के लोग साहेब कहा करते हैं, एक वक्त था जब उनके नाम से लोगों की रूह कांपती थी, वो भी अब न्यायालय के फैसले के आगे नतमस्तक होकर जेल चले गए।
मोहम्मद शहाबुद्दीन जो अपराध की दुनिया का चर्चित नाम है। मोहम्मद शहाबुद्दीन यानि कुख्यात अपराधी, जिसने एक जमाने में बिहार पुलिस की नाक में दम कर रखा था। बिहार का एक एेसा बाहुबली, जो अपने बलबूते संसद तक पहुंच गया और आज भी राजनीति से वास्ता रखता है। महागठबंधन की सरकार बनते ही जिसके नेता उससे मिलने जेल भी पहुंचे। इसपर काफी विवाद भी हुआ।
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शहाबुद्दीन के बारे में लोगों को जानने की हमेशा उत्सुकता रही है। उसके चाहने वालों और समर्थकों की भी कमी नहीं है। जेल के अंदर रहे या वो जेल से बाहर रहे उसका दरबार सजता रहता है, लोग फरियाद लेकर उसके पास आते रहते हैं। अब जेल में बिताना होगा उसे आगे का अपना जीवन।
आखिर कैसे यह शख्स अपराधी बन गया। शहाबुद्दीन के अपराध कुंडली भी कम दिलचस्प नहीं है। एक स्टांप बेचने वाले बाप का बेटा आखिर कैसे अपराध की दुनिया में अपना सिक्का जमाता चला गया?
जानिए....शहाबुद्दीन की कुंडली
मोहम्मद शहाबुद्दीन
उम्र: 49 साल
आरोप: हत्या, अपहरण, फिरौती, धमकाने के 63 मामले
वो 80 का दशक था जब एक साधारण से घर के स्टांप बेचने वाले पिता का बेटा शहाबुद्दीन सीवान के डीएवी कॉलेज में अपनी पढाई करने पहुंचा। कॉलेज में ही उसने दादागीरी और रंगदारी मांगनी शुरु कर दी थी। यहीं से धीरे-धीरे वह अपराध की दुनिया में कदम रखता गया और यहीं से उसने लिखनी शुरू की अपने अपराध की पटकथाएं।
कुछ ही सालों में एक रंगदारी मांगने वाला बन बैठा हिस्ट्रीशीटर
शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को सीवान के प्रतापपुर में हुआ। उसके पिता शेख हसीबुल्लाह स्टांप बेचा करते थे। उन्हें क्या पता था कि पढाई करने वाला उनका बेटा अपराध की दुनिया में कदम जमा रहा है। धीरे-धीरे वह बेखौफ होता गया और लगातार अपराध करने लगा। शहाबुद्दीन के खिलाफ पहला मुकदमा 1986 में दर्ज हुआ था।
शहाबुद्दीन की बढ़ती अपराधिक गतिविधियों ने सीवान के हुसैनगंज थाने में उसकी हिस्ट्रीशीट खोलकर रख दी। इसके बाद तो शहाबुद्दीन को अपराध का ऐसा चस्का लगा कि देखते ही देखते उसके अपराधों की लिस्ट उसकी उम्र से बड़ी हो गई।
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आज की तारीख में शहाबुद्दीन पर हत्या, अपहरण समेत 63 मामले दर्ज हैं। सीवान के चर्चित तेजाब कांड के जुर्म में उम्र कैद के साथ साथ शहाबुद्दीन को कई मामलों में 2 से 10 साल तक की सजा मिल चुकी है।
एेसे मामले हैं कि जानकर सहम उठेंगे आप
तेजाब कांड के आरोप में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा दी जा चुकी है। 2004 में 16 अगस्त को अंजाम दिए गए इस दोहरे हत्याकांड में सीवान के एक व्यवसायी चंद्रकेश्वर उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों सतीश राज (23) और गिरीश राज (18) को अपहरण के बाद तेजाब से नहला दिया गया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाह चंदा बाबू के सबसे बड़े बेटे राजीव रोशन (36) थे लेकिन मामला की सुनवाई के दौरान 16 जून, 2014 को साढ़े आठ बजे रात में अपराधियों ने राजीव की गोली मारकर हत्या कर दी।
विवि छात्र संघ के अध्यक्ष चंद्रशेखर की हत्या
मार्च 1997 में जवाहर लाल नेहरू विवि छात्र संघ के अध्यक्ष रहे चंद्रशेखर को सीवान में तब गोलियों से छलनी कर दिया गया था, जब वह भाकपा माले के एक कार्यक्रम के सिलसिले में नुक्कड़ सभा कर रहे थे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के कार्यकर्ता छोटे लाल गुप्ता के अपहरण और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 1993 से लेकर 2001 के बीच सीवान में भाकपा माले के 18 समर्थकों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
सुर्खियों में रही है शहाबुद्दीन की अदालत
शहाबुद्दीन की अदालत काफी सुर्खियों में रही थी। फरियादी उनके पास आते और वहां से तत्काल न्याय पाते। इस क्रम में उन्होंने फरमान जारी किया कि डॉक्टरों की फीस 50 रुपए होगी। जाहिर है किसी में इस आदेश को नकारने की हिम्मत नहीं थी।
रॉबिनहुड की छवि भी रही है शहाबुद्दीन की
तमाम आलोचनाओं और बाहुबली वाली छवि होने के बावजूद उनके समर्थकों और विरोधियों में ही नहीं बल्कि क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में भी शहाबुद्दीन की रॉबिनहुड की छवि बनी हुई है। सीवान के देहाती इलाकों में विकास पुरुष के रूप में जाने जाने वाले शहाबुद्दीन के बारे में कहा जाता है कि उस कार्यकाल में जिस प्रकार से पूरे सीवान का विकास हुआ वह अब तक किसी भी सांसद ने नहीं किया और इसके कुछ प्रमाण भी हैं।
2004 के बाद बुरा वक्त शुरू हो गया
2004 के चुनाव के बाद शहाबुद्दीन का बुरा वक्त शुरू हो गया जब शहाबुद्दीन के खिलाफ राजनीतिक रंजिश के बढ़ते मामलों के बीच कई मामले दर्ज किए गए। सीवान के प्रतापपुर में पुलिस छापे के दौरान घर से कई अवैध आधुनिक हथियार जिसमें सेना के नाइट विजन डिवाइस और पाकिस्तानी शस्त्र फैक्ट्रियों में बने हथियार बरामद होने के बाद और हत्या, अपहरण, बमबारी, अवैध हथियार रखने और जबरन वसूली करने के दर्जनों मामले में शहाबुद्दीन को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।