हाईकोर्ट ने दी चेतावनी, कहा - पटना नगर निगम को क्यों न कर दिया जाए नीलाम
हाईकोर्ट ने नगर निगम कर्मचारियों के वेतन भुगतान के मामले पर राज्य सरकार को जमकर फटकारा और चेतावनी दी कि यदि सरकार के पास कर्मचारियों के वेतन के लिए पैसे नहीं है तो इसे नीलाम क्यों नहीं कर दिया जाए?
पटना। हाईकोर्ट ने नगर निगम कर्मचारियों के वेतन भुगतान के मामले पर राज्य सरकार को जमकर फटकारा और चेतावनी दी कि यदि सरकार के पास कर्मचारियों के वेतन के लिए पैसे नहीं है तो इसे नीलाम क्यों नहीं कर दिया जाए?
शुक्रवार को अवमानना की एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह ने सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि सरकार निगम की सहायता में असमर्थ है तो फिर कोर्ट निगम भवन को बेचकर कर्मचारियों के बकाये का भुगतान कर देगा।
इस सिलसिले में उन्होंने न्यूयार्क (अमेरिका) के मैनहटन के मेयर के बंगले का उदाहरण दिया। बताया कि इसे बेचकर कर्मचारियों को वेतन दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि सरकार दो हफ्ते में हलफनामा देकर स्थिति साफ करे।
राज बल्लम राम एवं अन्य कर्मचारियों ने कोर्ट से शिकायत की थी कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें एसीपी का लाभ एवं पुर्नरीक्षित वेतनमान का लाभ नहीं मिल पाया है। निचली अदालत ने जुलाई 2009 में ही एक महीने के अंदर ही निगमकर्मियों को 1996 से पुर्नरीक्षित वेतन के बकाए का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
इस पर नगर निगम की ओर से सफाई दी गई कि पटना नगर निगम में 400 निगमकर्मी हैं। इनका बकाया भुगतान करने में 80 करोड़ रूपये का खर्च आएगा। जबकि इस मद में राज्य सरकार से से प्रत्येक साल 50 करोड़ की ग्रांट मिलती थी। दो साल से यह राशि भी नहीं मिली है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि मजदूर खून-पसीना बहाकर पैसा कमाते हैं किन्तु उन्हें देने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। यदि सरकार ने रवैया नहीं बदला तो कोर्ट को उच्चाधिकारियों का वेतन रोकने में भी देरी नहीं लगेगी।