सरकार ने दिया मोबाइल, बिहार के इंजीनियरों के लिए अब ये बन गया गले की फांस
जल संसाधन विभाग जिलों व डिवीजनों में तैनात इंजीनियरों के कॉल डिटेल्स मंगवा रहा है। यह सवाल उनसे पूछा जाएगा कि पूरे महीने जब वे जिले में थे तो फिर ऐसे में उनके विभागीय मोबाइल का लोकेशन पटना या बिहार के बाहर क्यों बता रहा?
पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। नौकरी जिले में या फिर किसी अन्य शहर स्थित डिवीजनल मुख्यालय में और महीने के पच्चीस दिन मौज पटना में। ऐसे इंजीनियरों का पूरा हिसाब करने की तैयारी है।
जल संसाधन विभाग जिलों व डिवीजनों में तैनात इंजीनियरों के कॉल डिटेल्स मंगवा रहा है। यह सवाल उनसे पूछा जाएगा कि पूरे महीने जब वे जिले में थे तो फिर ऐसे में उनके विभागीय मोबाइल का लोकेशन पटना या बिहार के बाहर क्यों बता रहा? इस बारे में संबंधित अभियंताओं से स्पष्टीकरण मांग उन पर कार्रवाई भी संभव है।
जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने मानीटरिंग की इस व्यवस्था की पुष्टि करते हुए कहा कि बहुत से मामलों में यह शिकायत है कि जिलों में तैनात इंजीनियर महीने में एक बार वहां जाते हैं।
इसे कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है? पूर्व में राज्य सरकार ने अस्पतालों में डाक्टरों के नहीं रहने की शिकायत पर वहां बेसिक फोन लगवाया था। उच्च स्तर से नियमित रूप से गाहे-बगाहे अस्पतालों में लगे बेसिक फोन नंबर पर डायल कर डाक्टरों की उपस्थिति को चेक किया जाता था।
जल संसाधन विभाग भी जिलों में तैनात अपने हर स्तर के अभियंताओं के दफ्तर में लगे बेसिक फोन से उनकी मौजूदगी को लगभग हर रोज चेक करेगा। सरकार ने सभी इंजीनियरों को सीरीज में मोबाइल नंबर दे रखा है। सभी नंबर बीएसएनएल के हैं। ऐसे में कॉल डिटेल्स लिए जाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
नयी व्यवस्था के तहत जल संसाधन विभाग ने अपने सभी श्रेणी के इंजीनियरों को यह हिदायत दी है कि मुख्यालय छोडऩे से पहले वे हर हाल में इसकी पूरी सूचना अपने नियंत्री अधिकारी को लिखित रूप में देंगे। यह कनीय अभियंता तक लागू होगा।
जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों को यह टारगेट दिया गया है कि बाढ़ बचाव से जुड़़ी योजनाओं के लिए निविदा का काम हर हाल में 31 दिसंबर तक पूरा कर लिए जाएं। एक जनवरी से इन योजनाओं पर काम आरंभ किए जाने का लक्ष्य है। फरवरी से जल संसाधन मंत्री खुद घूम-घूम कर इन योजनाओं का निरीक्षण करेंगे।