बिहार में आठ साल से पढ़ा रहे हैं 3000 फर्जी शिक्षक
सूबे के स्कूलों में 3000 से ज्यादा जालसाज शिक्षक आठ-नौ साल से मौज मार रहे हैं।
By Mrityunjay Kumar Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 09:27 AM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 09:34 AM (IST)
पटना ( दीनानाथ साहनी)। सूबे के स्कूलों में 3000 से ज्यादा जालसाज शिक्षक आठ-नौ साल से मौज मार रहे हैं। वेतन मद में इन फर्जी शिक्षकों ने 250 करोड़ से ज्यादा गटक लिया। विभाग को आशंका है कि फर्जी शिक्षकों की संख्या 15 हजार तक हो सकती है। ऐसे शिक्षकों को भुगतान की राशि एक हजार करोड़ से अधिक हो सकती है। मगर ऐसे शिक्षकों की थाह लेने में नौ साल गुजर गए। ये वैसे शिक्षक हैं, जो अन्य राज्यों में संचालित बिना मान्यता प्राप्त निजी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की डिग्रियों पर वर्ष 2006-07 में नियोजन इकाइयों की मिलीभगत से शिक्षक बन गए हैं। इसका खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के आवेदन से प्राप्त जानकारी से खुलासा हुआ है।
ऐसे शिक्षकों की जांच एवं बर्खास्तगी के लिए पिछले माह पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है। इससे पहले वर्ष 2013 में शिक्षा विभाग ने अमान्य डिग्रियों पर कार्यरत 772 शिक्षकों को बर्खास्त किया था। बहरहाल, शिक्षा विभाग ऐसे तमाम शिक्षकों की डिग्रियों की जांच में जुटा है। साथ में जालसाज शिक्षक चिह्नित भी किए जा रहे, मगर दोषी शिक्षकों पर एकमुश्त कार्रवाई कब होगी, इस पर प्राथमिक शिक्षा निदेशालय खामोश है। जांच प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक अमान्य डिग्रियों, जन्म-तिथि में हेराफेरी, फर्जी जाति प्रमाण पत्र और विकलांग प्रमाणपत्र के आधार पर नियोजित शिक्षकों की संख्या अनुमान से कहीं ज्यादा होने की संभावना है।
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