गंगा की उफनाती लहरों के बीच 12 घंटे और नाव पर सवार 45 लोग...जानिए
गंगा की उफनाती लहरों के बीच कल एक नाव जिसपर पैंतालिस लोग सवार थे बीच नदी में फंस गई और बारह घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
पटना [काजल]। गुस्से में गंगा की उफनती धारा और बारह घंटे बीच नदी में टूटी नाव में फंसे 45 लोग। मौत का एेसा आलम कि कभी भी जान जा सकती थी। नाव पर राघोपुर में मझधार में फंसी नाव, संकट में 45 लोग जिसमे 25 छोटे-छोटे मासूम 15 महिलाएं और 5 पुरूष शामिल थे। इन सबके बीच मौत का वो खौफनाक मंजर जिसे सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाएं।
रविवार की शाम जब हम टीवी पर बैठकर बाढ की स्थिति के बारे में जानकारी ले रहे थे लोग बाढ की चर्चा कर रहे थे, प्रशासन राहत-बचाव की फिक्र कर रहा था और मुख्यमंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जिलाधिकारियों से बात कर रहे थे उन्हें निर्देश जारी कर रहे थे तभी करीब चार बजे शाम में वैशाली जिले के तीन गांव जगदीशपुर, इब्राहिमपुर और मोहनपुर में बाढ के बीच फंसे लोगों को लेकर एक नाव बीच नदी में पहुंची थी कि नाव के मोटर की पंखी टूट कर अलग हो गई।
नाविक ने पहले मशीन की पंखी बनाने का प्रयास किया, लेकिन कामयाब नहीं हुआ और नाव ने गंगा के बीच धारा में बहाव के साथ दिशा बदल दी और नाव विपरीत दिशा में जाने लगी। नाव पर सवार लोगों के बीच मौत का खौफ मंडराने लगा। मांओं ने अपने बच्चों को कलेजे से सटा लिया। बचने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था। शुक्र था कि नाव पर तीन शिक्षक भी सवार थे जो गांव के ही स्कूल में पढाते थे।
उनलोगों ने अपने मोबाइल से लोगों को फोन मैसेज भेजना शुरू किया। तमाम नाते-रिश्तेदारों को फोन किया। जानकारी मिलते-मिलते ही शाम के छह बज गए और अंधेरा छाने लगा। नदी का विकराल रूप लेकिन पता ठिकाना मालूम नहीं कि लोग बीच नदी में कहां फंसे हैं क्योंकि नाव पर सवार लोग कहां हैं उन्हें खुद पता नहीं था। चारों ओर पानी ही पानी और बीच नदी में धारे के साथ इधर-उधर डोलती उनकी नाव।
नाव का नाविक जुगत लगाने लगा कि किसी तरह नाव को नियंत्रित किया जा सके, लेकिन उसका प्रयास व्यर्थ रहा और नाव इधर से उधर बहाव की दिशा में जाने लगी कि बीच में अचानक नाव एक बड़े से ताड़ के पेड़ से टकराई और वहीं रूक गई।
तबतक नाव में सवार लोग जिनके पास मोबाइल था उन्होंने जिला प्रशासन से लेकर आपदा प्रबंधन विभाग तक सबसें संपर्क करते रहे लेकिन उनतक मदद नहीं पहुंच सकी। इतने में रात के बारह बज गए। रात का अंधेरा और भूखे-प्यासे बच्चों को लेकर नाव पर सवार लोगों ने बचने की उम्मीद भी छोड़ दी थी।
राघोपुर के पूर्व विधायक सतीश कुमार सिंह को जब घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने राघोपुर के एसडीओ से बात की और पूरी जानकारी से अवगत कराया उन्होंने एसडीओ को नाव में सवार फंसे लोगों से हम लोग लगातार संपर्क में हैं तो राघोपुर एसडीओ ने सीओ का नंबर दिया। सीओ ने बताया कि एनडीआरएफ की टीम रात को जाने को तैयार नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि कंट्रोल रूम को इस बात की सूचना मिल चुकी है।
देर रात जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीम नाव के बारे में पता करने में जुटी थी, लेकिन किसी का कोई पता नहीं चल सका। फिर नाव में फंसे लोगों के रिश्तेदार हारकर खुद ही एक नाव लेकर गंगा में उतरे और तलाश करना शुरू किया। पूरी रात बीतने के बाद सुबह तीन बजे लोगों ने नाव को ढूंढ निकाला तबतक एनडीआरएफ की टीम भी आ गई थी। सबने मिलकर लोगों को दूसरे नाव पर सवार किया और वापस लेकर सबको पटना आ गए।
नाव में सवार सबकी जान बच गई और लोगों ने इसके लिए भगवान को धन्यवाद दिया। सबके चेहरे पर मौत का भय साफ दिख रहा था। पटना पहुंचने के बाद सबको राहत शिविर में लाया गया जहां कुछ लोगों ने शरण लिया वहीं कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए। पूछने पर सबने बताया कि जिंदगी दुबारा मिली है। हमलोगों को तो लगा कि अब नहीं बच सकेंगे।