धूप में चेहरा हो जाता था लाल, इसीलिए पिता ने नाम ऱख दिया 'लालू'
लालू यादव का बचपन बहुत अभाव में बीता था। बचपन में धूप में घूमने पर उनका गाल लाल हो जाता था इसीलिए पिता ने लालू नाम रख दिया था। कुछ एेसा रहा है लालू के जीवन का सफर...
पटना [जेएनएन]। गरीबी और मुफलिसी में बचपन के दिन काटने वाले लालू यादव के 22 ठिकानों पर मंगलवार को आयकर विभाग ने छापा मारा है। उनपर 1000 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति रखने का आरोप है। लेकिन एक एेसा भी वक्त था जब लालू भैंस चराया करते थे। गोल-मटोल दिखने वाले लालू का चेहरा धूप में लाल हो जाता था इसीलिए पिताजी ने उनका नाम लालू रख दिया था।
गोपालगंज के फुलवरिया गांव में हुआ जन्म
लालू का जन्म गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में हुआ था। उन्होंने माड़ीपुर गांव के स्कूल से पढ़ाई शुरू की थी। लालू के पास स्कूल फीस देने के लिए पैसे नहीं थे। लालू के स्कूल में घंटी नहीं थी। छत के छेद से आने वाले धूप की लकीरों से टिफिन और छुट्टी तय होती थी। गांव में लालू लोगों को रिझाने के लिए सोरठी-बृजभार गाते थे।
चाचा यदुनन्दन चौधरी अपने साला (जिसे लालू ठग मामा कहते थे) के बुलावे पर पटना गए। उन्होंने लालू के भाई मुकुन्द चौधरी को भी पटना बुला लिया। रोज 11 आना मजूरी करने वाले भाई के साथ लालू पटना आए। पटना में लालू का परिवार ‘चौधरी’ से ‘यादव’ बन गया।
एेसे हुई थी प्रारंभिक शिक्षा
5वीं क्लास में लालू का नाम शेखपुरा मोड़ के मिडिल स्कूल में लिखाया गया था। वहां शेखपुरा गांव के ही कैलाशपति जी और मुंशी मास्टर से एक साल पढ़े, फिर बीएमपी-5 के मिडिल स्कूल में छठी में नाम लिखाया।
लालू को बचपन से ही फुटबॉल खेलने का शौक था। वह स्कूल में फुटबॉल और नाटक खेलते थे।
लालू का परिवार वेटनरी क्वार्टर के 10/10 के रूम में रहता था। घर में शौचालय नहीं था। शौचालय के लिए खेत में जाना पड़ता था। भाई की कमाई 45 रुपया महीना हुआ तो लालू का एडमिशन मिलर हाई स्कूल में 8वीं क्लास में कराया गया। मिलर स्कूल में लालू एनसीसी में शामिल हुए और फुटबॉल खेलने लगे। जल्द ही वह फुटबॉलर लीडर बन गए।
लालू के परिवार के पास लालटेन के लिए केरोसिन तेल खरीदने का पैसा नहीं था। रूम में अंधेरा होने के चलते लालू वेटनरी कॉलेज के बरामदे में पढ़ते थे। लालू को स्कूल के पुअर ब्वायज फंड से पैसे मिले तो पढ़ाई में सुविधा हुई।
साइंस छोड़कर पालिटिकल साइंस पढ़ने लगे लालू
लालू ने वेटनरी कॉलेज से मिलर स्कूल आने के लिए शेखपुरा गांव के एक सम्पन्न लड़के को पटाया और उसकी साइकिल के कैरियर पर बैठ स्कूल आने लगे। लालू का 5 नंबर से मैट्रिक में सेकेंड डिविजन छूट गया था। इसके बाद उन्होंने बीएन कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन अलजेब्रा की वजह से साइंस छोड़ दिया और लालू ने पॉलिटिकल साइंस और हिस्ट्री से बीए किया।
1971 में पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के चुनाव में शामिल हो गए और वोटिंग डलवाने का मुद्दा बना जीत कर संघ के महासचिव बने। लालू के पास कोई गाइड या गार्जियन नहीं था जो बताए कि आगे क्या किया जाए।
कुछ दोस्तों ने लालू से कहा कि वकील बन जाओ तो दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो जाएगा। दोस्तों के कहने पर लालू ने एलएलबी में एडमिशन ले लिया। इसके साथ ही वह वेटनरी कॉलेज में क्लर्क का काम करने लगे। वेटनरी कॉलेज से हुई कमाई के कुछ पैसे बचा कर लालू ने पोस्ट ऑफिस में जमा किया था।
राबड़ी से चली शादी की बात, तिलक में दिया 3000 रुपए
इस बीच लालू की शादी के लिए गांव-घर से लोग पटना आने लगे। राबड़ी से शादी की बात चली तो लालू ने वेटनरी डॉक्टर रामचन्द्र को राबड़ी को देखने के लिए भेजा। उसने कहा कि परिवार ठीक है, शादी कर लो। लालू ने अपने कमाए रुपए से 5 सेट सोना-चांदी का गहना खरीदा और तिलक में 3000 रुपए चढ़ाया।
लालू गांव पहुंचे और पालकी पर बैठ शादी के लिए निकल पड़े। बीच रास्ते में रंजन यादव और नागेश्वर शर्मा अपनी गाड़ी लेकर पहुंचे और लालू को पालकी से उतार अपनी गाड़ी में बिठाकर बरात राबड़ी के घर पहुंची।
शादी तो हो गई पर राबड़ी का गौना रह गया। इस बीच पटना में संपूर्ण क्रांति आंदोलन शुरू हो गया था। लालू पटना आ गए। 18 मार्च 1974 को राबड़ी का पटना आना तय हुआ और उसी दिन पटना में आंदोलन हिंसक हो गया। राबड़ी को पटना लालू के भाई लेकर आए।
शादी के बाद एेसे राजनीति में उतरे लालू
संपूर्ण क्रांति में सभी छात्र सड़क पर उतर आए थे। लालू भी उसमें शामिल थे। आंदोलन रोकने के लिए सेना के जवान सड़क पर उतर आए और लालू की पिटाई की। अफवाह फैल गयी कि सेना के जवानों द्वारा की गई पिटाई में लालू मारा गया। लालू को उनके भाई पटना के गली-गली में खोज रहे थे।
लालू किसी तरह बचते-बचाते एयरपोर्ट के गेट के पास अपने भाई से मिले और कहा कि राबड़ी को कह दीजिएगा कि मैं ठीक हूं, लेकिन घर नहीं आ सकता। इसके बाद लालू अंडरग्राउंड हो गए। 23 मार्च को कदम कुआं में लालू की गिरफ्तारी हो गई।
इसी आंदोलन से लालू ने अपनी इमेज नेता के रूप में स्थापित कर ली। 1977 में आम चुनाव हुआ तो लालू सांसद चुने गए। लालू 1980-1985 में एमएलए बने। फिर प्रतिपक्ष के नेता और 1990 में लालू बिहार के मुख्यमंत्री बन गए।