दुकानदारों ने दिए दवा खरीद के फर्जी बिल
औषधि नियंत्रण विभाग की दवा दुकानों पर छापेमारी जारी -नोटिसों के अजीबो-गरीब जबाव
पटना। औषधि नियंत्रण विभाग द्वारा दवा दुकानों पर छापेमारी के साथ दवा संस्थानों को नोटिस देने का सिलसिला जारी है। कुछ संस्थानों ने नोटिस के जवाब में दवा खरीद के नकली बिल लगाकर भेजे हैं तो कुछ ने अजीबो-गरीब जवाब देकर दवा लाइसेंस ही रद करने की मांग कर डाली है। मुजफ्फरपुर के मुसहरी प्रखंड के टायसन इंटरप्राइजेज में 28 नवंबर 2015 को छापेमारी की गई। छापेमारी में बिना बिल के दवा बेचने पर जब कारण बताओ नोटिस जारी किया गया तो संस्थान ने दवा लाइसेंस ही सरेंडर करने की अर्जी दे दी। उन्होंने दलील दी कि उनकी पत्नी दुकान की प्रोपराइटर थीं। उनकी मृत्यु 15 दिसंबर को हो गई है। इसलिए लाइसेंस सरेंडर करने की अनुमति दी जाए। संस्थान ने अपने जवाब में दवा की खरीद बिक्री का बिल संलग्न करने की बजाय पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न कर दिया है।
राजधानी के जीएम रोड स्थित रिया ड्रग एजेंसी ने तो अभिनव फार्मा के नाम से नकली बिल प्रशासन को भेज दिया। यहां छापेमारी 28 नवंबर को हुई थी। बिल संदिग्ध लगने पर जब जांच की गई तो पता चला कि अभिनव फार्मा ने मई 2015 में ही अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया था। इसी तरह स्वास्तिक फार्मा ने भी दवा क्रय का नकली बिल लगा दिया। संदेह होने पर औषधि नियंत्रक ने संबंधित विक्रेता के यहां बिल प्रमाणित करने भेजा तो संस्थान ने लिखित में जवाब दिया कि उक्त बिल उनके संस्थान द्वारा जारी नहीं किया गया है। अपनी बात की पुष्टि के लिए संस्थान ने बिल का फॉर्मेट भी संलग्न कर भेजा है। इसी तरह हाजीपुर के देवकी फार्मा ने भी दवा क्रय का नकली बिल भेजा था। जिसके कारण इन सभी दुकानों का लाइसेंस रद कर दिया गया है। इसके अलावा आइजीआइएमएस के नजदीक स्थित मेडिगो, नवीन व नेशनल फॉर्मा के भी लाइसेंस रद किए गए हैं। मेडिगो को दवा सप्लाई करनेवाली कंपनियों पर डॉक्टर से सांठ-गांठ कर ऊंचे दाम पर कैंसर की दवा बेचने का आरोप है। मेडिगो दवा सप्लाई करनेवाली कुल 9 कंपनियों को भी नोटिस देने की तैयारी है।
विभाग के अनुसार मंगलवार तक औषधि नियंत्रण विभाग ने 20 दवा दुकानों के लाइसेंस रद किये तथा दो दर्जन से ज्यादा दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड किए हैं। जबकि 22 संस्थानों पर कोर्ट में केस दायर करने की तैयारी है।
कोट
अब तक राजधानी में करीब 100 दवा संस्थानों पर छापेमारी की गई है। छापेमारी में करीब-करीब सभी दुकानों में अनियमितता पाई गई है। लिहाजा इस बार किसी को क्लीन चिट मिलने की संभावना नहीं है। छोटी अनियमितता के लिए 3-7 दिनों तक के लिए लाइसेंस सस्पेंड किया जा रहा है। नकली बिल भेजने वाले संस्थानों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराने की तैयारी है। मामले में गिरफ्तारी होगी।
- रमेश कुमार, औषधि नियंत्रक