नेपाल बॉर्डर पर खूब जमती महफिल, बिहार से आने वालों को मिलती हर किस्म की शराब
बिहार सीमावर्ती नेपाल के इनरवा बॉर्डर पर हर किस्म की शराब उपलब्ध है। यहां बिहार के पीने वालों की महफिलें जम रही हैं। हर किस्म की शराब उपलब्ध है।
इनरवा में बीस रुपये में आसानी से मिलने वाली 180 एमएल शराब की बोतल जयनगर में भी मिल रही है। अंतर सिर्फ इतना है कि दिन में यह 25 से 30 रुपये में जहां मिल रही है वहां शाम होते ही इसका दाम 50 से 60 रुपये और रात ढलते ही यह 100 रुपये में बिकने लगती है।
इनरवा, नेपाल [सुभाष पांडेय]। शाम के सात बजे का समय। भारत-नेपाल सीमा पर जयनगर से महज चंद कदमों की दूरी पर इनरवा का एक छोटा सा बाजार। बीस-पच्चीस दुकानों वाला नेपाल का यह बाजार शाम ढलते ही बंद हो जाता है। खुली रहती हैं तो बस चंद शराब की दुकानें।
जयनगर की चकाचौंध से होकर आने वालों को यहां का अंधेरा कुछ अधिक ही गहरा दिखता है। कच्चे रास्ते से आगे बढऩे पर आते-जाते लोगों की परछाई भर का आभास होता है। बाजार में अधिकांश दुकानें बंद हो चुकी हैं। हल्की रोशनी में खुली हैं सिर्फ चार-पांच शराब की दुकानें हैं। ज्यादातर लोग बीस रुपये से काम चलाने वाले ही हैं। दुकानदार को नोट गिनने की भी फुर्सत नहीं।
बाजार में चना और कचरी बेचने की दो-तीन फूस की झोपडिय़ां भी खुली हैं। यहां शराब के शौकीनों का जमावड़ा लगा है। अगल-बगल के बेंच और चबूतरे पर भी महफिलें सजी हैं। कुछ नशेड़ी जमीन पर बैठकर ही बोतल खोलते हैं। यहां न किसी तरह की रोक-टोक है और न ही बिहार पुलिस की धरपकड़ का कोई भय। रात जैसे-जैसे गहराती है, लोगों की भीड़ बढ़ती जाती है। चार घंटे पहले यानी दिन में तीन से चार बजे के बीच जब यहां आया था, दुकानें तो खुली थीं पर सन्नाटा पसरा था। शाम होते ही यह इलाका गुलजार हो गया है।
बिहार से आने वाले के लिए यहां हर किस्म की शराब उपलब्ध है। नो मैंस लैंड के उस पार इनरवा की यह शराब की दुकानें देर रात तक खुली रहती हैं। जयनगर का बाजार तो नौ बजते ही बंद हो जाता है, पर इनरवा में आधी रात तक चहलपहल रहती है। एसएसबी कैंप के जवान शुरू-शुरू में तो थोड़ी सख्ती जरूर बरत रहे थे, पर अब मामला धीरे-धीरे सामान्य होता जा रहा है। जयनगर स्थित सशस्त्र सीमा बल की 14वीं बटालियन के सब-इंस्पेक्टर ए लोहरी बताते हैं कि शुरू में छह-सात लोगों को गिरफ्तार कर बिहार पुलिस के हवाले कर दिया था। अब संख्या कम होती जा रही है। चेक पोस्ट से अब कोई शराब लेकर आने की हिम्मत तो नहीं करता। हां, पीकर आने वालों को हम कहां तक रोक पाएंगे।
जयनगर एसएसबी कैंप से सटे अकोनहा तक नो मैंस लैंड के किनारे भारतीय सीमा में पीसीसी सड़क बनी है। वहां तैनात महाराष्ट्र के रहने वाले एसएसबी जवान अजय भूरे आखिर सच्चाई बयान कर ही देते हैं। कहते हैं खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा होने के कारण हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। जहां हम उनसे बात कर रहे थे, ठीक उससे पचास कदम की दूरी पर सामने नेपाल सीमा में एक देसी शराब की भट्ठी चल रही थी। नो मैंस लैंड में खड़े होकर उस शराब की भट्ठी की तस्वीर लेने के लिए भी हमें उस जवान की मदद लेनी पड़ी। नेपाल की तरफ शराब भट्ठी वाले लोग फोटो लेने वालों पर जानलेवा हमला कर देते हैं।
यहां आधा किलोमीटर के दायरे में नेपाल सीमा पर एक दो की कौन कहे कुल आठ देसी शराब की भट्ठियां चल रही हैं। इसमें से कुछ तो बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद खुली है। एसएसबी के एक अधिकारी ने बताया कि नेपाल सरकार से इन भट्ठों को नो मैंस लैंड से कुछ और अंदर ले जाने की बातचीत चल रही है।