हर पांचवें दिन देना होगा चुनावी खर्च का लेखा-जोखा
नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को प्रत्येक पांचवें दिन खर्च का लेखा-जोखा सहायक निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
पटना। नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को प्रत्येक पांचवें दिन खर्च का लेखा-जोखा सहायक निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। निर्वाचन व्यय का लेखा प्रस्तुत नहीं करने वाले प्रत्याशियों को राज्य निर्वाचन आयोग तीन वर्षो तक चुनाव लड़ने से आयोग्य घोषित कर देगा। चुनाव परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के अंदर निर्वाचन व्यय से संबंधित पूरी जानकारी देनी है।
40 हजार कर सकते हैं खर्च
नगर निगम क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अधिकतम 40 हजार रुपये तक खर्च कर सकते हैं। चार से दस हजार आबादी वाले वार्ड में 30 हजार रुपये जबकि इससे अधिक आबादी वाले क्षेत्र में 40 हजार रुपये तक खर्च करने की सीमा है। इससे अधिक राशि खर्च करने की अनुमति नहीं दी गई है।
नगर पंचायत में 10 तो परिषद में 20 हजार तक खर्च
नगर पंचायत क्षेत्र के प्रत्याशी दस हजार तथा नगर परिषद के किसी वार्ड से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अधिकतम 20 हजार रुपये खर्च कर सकते हैं। नामांकन के बाद प्रत्येक उम्मीदवार को दिन-प्रतिदिन व्यय लेखा का विवरण के उल्लेख करने वाली फाइल मिलेगी। इसे निर्वाची पदाधिकारी सत्यापित करते रहेंगे। इसकी जांच भी होती रहेगी।
जिला स्तर पर बनेगी मानक दर
उम्मीदवारों द्वारा विभिन्न मदों में सामान्य प्रचलित दर से कम उद्धृत कर वास्तविक व्यय को छिपाने की चेष्टा की जा सकती है। इस दृष्टिकोण से आयोग का निर्देश है कि सामान्य मदों यथा रिक्शा और ठेला का भाड़ा, लाउडस्पीकर का भाड़ा, सहयोगियों, वाहन चालकों आदि के दैनिक भत्ते एवं खाने पीने आदि से संबंधित जिला स्तर पर एक मानक दर निर्धारित किया जाए। अगर कोई उम्मीदवार नामांकन शुल्क को छोड़कर कोई अन्य व्यय नहीं करता है, तो उसे अपना रिटर्न दाखिल करना होगा। निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी किसी भी समय किसी भी उम्मीदवार से लेखा-व्यय की पंजी मांग सकते हैं। पंजी प्रस्तुत नहीं किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 151 एच के अधीन दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। अगर दो वार्ड से चुनाव लड़ रहे हैं तो प्रत्येक वार्ड के निर्वाचन व्यय का लेखा अलग-अलग लिखना है।