चुनावी तकरार : उनके 'पावर' के आंकड़े से करेंगे अपने 'पावर' की बात
ऊर्जा मंत्रालय ने पिछले दिनों ग्रामीण विद्युतीकरण के संबंध में दिल्ली में एक बैठक बुलाई थी। उस बैठक में मंत्रालय ने एक आंकड़ा जारी किया है। उसमें यह बात कही गई है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में गांवों में बिजली पहुंचाने में बिहार एक नंबर पर है।
पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। विधानसभा के चुनावी जंग में बिजली की गूंज अभी से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभा में जहां लोगों से संवाद के अंदाज में पूछा कि क्या बिजली आई, वहीं नीतीश कुमार कहते हैं कि हमने गांधी मैदान में कहा था कि बिजली में सुधार नहीं हुआ तो वोट मांगने नहीं जाएंगे।
वे भी इस संवाद में दिलचस्पी लेते हुए पूछते हैं कि क्या बिजली में सुधार नहीं हुआ? इस संवाद में एक नई बात जुड़ गई है। ऊर्जा मंत्रालय ने पिछले दिनों ग्रामीण विद्युतीकरण के संबंध में दिल्ली में एक बैठक बुलाई थी। उस बैठक में मंत्रालय ने एक आंकड़ा जारी किया है। उसमें यह बात कही गई है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में गांवों में बिजली पहुंचाने की उपलब्धियों का जो आंकड़ा है उसमें बिहार एक नंबर पर है। केंद्र के इस पावर के आंकड़े से ही सत्ताधारी महागठबंधन इस चुनाव में अपने पावर की बात कहने की पूरी तैयारी में है।
यह कह रहा आंकड़ा : ऊर्जा मंत्रालय का आंकड़ा यह है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में बिहार को 1974 गांवों में ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम के तहत गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य दिया गया था और इस वर्ष जुलाई तक की उपलब्धि यह है कि 1365 गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। यह उपलब्धि 69 प्रतिशत की है। पूरे देश के 16 राज्यों में 1560 गांवों में बिजली पहुंची, जिसमें 1365 गांव अकेले बिहार के थे। उप्र में 803 का लक्ष्य और उपलब्धि 33, मध्य प्रदेश में 250 और उपलब्धि 9, राजस्थान में 205 की जगह शून्य, छत्तीसगढ़ में 158 की लक्ष्य की जगह 12 और उड़ीसा में 120 के लक्ष्य की जगह एक गांव को ऊर्जान्वित किया जा सका।
बीपीएल परिवारों के मामले में उपलब्धि 20 फीसद भी नहीं
ऊर्जा मंत्रालय ने एक आंकड़ा वैसे परिवारों के घर बिजली पहुंचाने का भी जारी किया है, जो गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) हैं। बिहार में 1133552 परिवारों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य था और बिजली पहुंची सिर्फ 200432 परिवारों के पास ही। यह लक्ष्य का सिर्फ 18 प्रतिशत है। वैसे राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा और मणिपुर में तो इस दिशा में उपलब्धि शून्य है, पर असम में 450 प्रतिशत, केरल में 225 और सिक्किम में 252 प्रतिशत है।