पटना में भी वायुमंडल में धूलकण से धुंध, बन रहे दिल्ली जैसे हालात!
पटना के वायुमंडल में भी धूल कण के कारण धूंध छाया हुआ है। इसकी वजह निर्माण कार्य, ठोस कचरे को जलाने के साथ सड़कों पर उडऩे वाला धूल-कण हैं।
पटना [जेएनएन]। वायु गुणवत्ता के मामले में पटना के हालात दिल्ली से बहुत दूर नहीं है। हवा का क्या भरोसा किधर का रुख कर ले। बुधवार से राजधानी और आसपास के इलाके में धुंध छाया हुआ है। हवा में नमी की मात्रा बढऩे से धूल और धुआं वायुमंडल के निचले सतह पर जमा हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर में पुराने वाहनों, निर्माण कार्य, ठोस कचरे को जलाने के साथ सड़कों पर उडऩे वाला धूल-कण मूल वजह मान रहा है।
पटना में बीते 26 और 27 अक्टूबर को भी गहरा धुंध पसरा था। एक पखवारे के दौरान दूसरी बार घना कोहरा छाया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पटना की स्थिति दिल्ली जैसी नहीं, लेकिन वायु गुणवत्ता को सुधारने की जरूरत महसूस करते हुए मुख्य सचिव से पुराने वाहनों को हटाने, निर्माण कार्य ढक कर कराने और ठोस कचरे को खुले में जलाए जाने पर रोक के लिए संबंधित प्राधिकार को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने माना है कि गर्म हवा के साथ सड़क पर उडऩे वाला धूलकण और धुआं वायुमंडल में उपर नहीं फैलकर ओश के कारण नीचे जमा हो रहा है। वैसे पटना में वायु गुणवत्ता गत वर्षों की तुलना में ज्यादा खराब नहीं हुई है।
क्या है मानक वायु गुणवत्ता का
स्वच्छ वातावरण और स्वस्थ्य जीवन के लिए वायुमंडल में 60 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर से अधिक धूलकण नहीं होना चाहिए। पटना में 7 नवंबर को 118 माइक्रोग्राम था। 8 नवंबर को बढ़कर 120.55 माइक्रोग्राम हो गया। बीते सितंबर में औसत 65.1 माइक्रोग्राम धूलकण पाया गया था। अक्टूबर में बढ़कर 84.7 माइक्रोग्राम पहुंच गया। नवंबर के प्रथम सप्ताह में हवा में नमी बढऩे के साथ वायु गुणवत्ता में धूलकण की मात्रा दो गुना से पार कर गया है।
हवा के रुख से बदलाव
वायु गुणवत्ता ऐसा नहीं कि एक जगह स्थिर अथवा जहां निर्माण, ईंट भठ्ठा या फैक्ट्री है वहीं प्रदूषित होगा। हवा के रूख के साथ चलता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राजधानी के आसपास पांच प्रखंडों में ईंट भटठा को हटाने अथवा चिमनी में सुधार लाने का प्रस्ताव दिया है।