डॉ. कलाम ने बिहार की राजनीतिक अस्थिरता के बाद बनाया था इस्तीफे का मन
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2005 में राज्य की राजनीतिक अस्थिरता के बाद इस्तीफे की तैयारी कर ली थी। प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था।
पटना [प्रदीप]। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2005 में राज्य की राजनीतिक अस्थिरता के बाद इस्तीफे की तैयारी कर ली थी। प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। तब आरोप लगा था कि नीतीश कुमार की सरकार न बने इस वजह से कुछ नेताओं ने केंद्र पर दबाव डलवाकर विधानसभा भंग करा दी थी।
तस्वीरों में देखें- बिहार से जुड़ीं डॉ. कलाम की स्मृतियां
उस समय बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह थे। बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने के फैसले के समय डॉ. कलाम रूस की यात्रा पर थे। मॉस्को के समय के मुताबिक रात करीब एक बजे उन्हें बिहार विधानसभा भंग करने का फैक्स भेजा गया। कलाम ने आधे-अधूरे मन से इसपर दस्तखत कर दिए।
इस फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बदनीयत से लिया गया निर्णय कहा। इसके बाद कलाम ने इस फैसले के लिए खुद को भी जिम्मेदार माना और अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा देने का फैसला किया, लेकिन तब उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत बाहर थे और इसी वजह से वो तत्काल इस्तीफा नहीं दे पाए।
इसी बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह किसी दूसरे मसले पर चर्चा के लिए कलाम से मिलने पहुंचे। मुलाकात के दौरान डॉ. कलाम ने सिंह को अपना इस्तीफा दिखाया तो मनमोहन भावुक हो गए। प्रधानमंत्री ने मुश्किल घड़ी में इस्तीफा नहीं देने का आग्रह किया।
मनमोहन ने कहा कि इस समय उनके इस्तीफे से सरकार गिर भी सकती है। मनमोहन से मुलाकात के बाद मिसाइल मैन उस रात यही सोचते रहे कि उनका जमीर ज्यादा अहम है या देश? अगली सुबह नमाज के बाद उन्होंने इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया। अपनी किताब टर्निंग प्वाइंट्स में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम उक्त बातों का उल्लेख किया है।