वेंटीलेटर पर पीएमसीएच की विकास योजनाएं
जागरण विशेष : - एक वर्ष में एक कदम आगे नहीं बढ़ा राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल। - योजनाएं
जागरण विशेष :
- एक वर्ष में एक कदम आगे नहीं बढ़ा राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल
- योजनाएं बनीं, राशि स्वीकृत हुई, पर नहीं हुआ काम
- केंद्र व राज्य के बीच फंसी हैं अधिकांश योजनाएं
- जिम्मेदारी लेकर मौन है आधारभूत संरचना निगम
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नीरज कुमार, पटना : केंद्र और राज्य सरकार की खींचतान में सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) की अधिकांश विकास योजनाएं वेंटीलेटर पर हैं। पिछले एक वर्ष में इन विकास योजनाओं को लेकर कई बैठकें आयोजित की गई लेकिन धरातल पर एक भी ईट नहीं जोड़ी गई। वहीं दूसरी ओर अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक बेड के लिए मारामारी होती है। अस्पताल की विकास योजनाएं बनाई जाती हैं, राशि स्वीकृत होती है लेकिन काम नहीं होता है।
अधर में सुपर स्पेशियलिटी की योजना :
केंद्र सरकार की मदद से पीएमसीएच के 15 विभागों को सुपर स्पेशियलिटी बनाने की योजना स्वीकृत की गई थी। योजना 180 करोड़ की थी। लेकिन, केंद्र व राज्य सरकार के बीच समझौता न होने के कारण यह अटक गई। इसके अंतर्गत 15 फीसद राशि राज्य सरकार को देनी थी। राज्य सरकार ने अब तक न तो केंद्र सरकार से समझौता किया और न ही केंद्र सरकार से आगे कोई पहल हुई। परिणाम वही ढाक के तीन पात। योजना बनी और धरी की धरी रह गई।
नहीं बना बुजुर्गो का अस्पताल :
पीएमसीएच में बुजुर्गो के लिए विशेष अस्पताल बनाने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए पांच करोड़ रुपये पिछले साल स्वीकृत किए गए थे। केंद्र सरकार को राशि देनी थी। राज्य सरकार से एमओयू नहीं होने के कारण यह योजना भी धरी की धरी रह गई।
कब होगा किडनी प्रत्यारोपण :
पीएमसीएच में किडनी प्रत्यारोपण की योजना पिछले वर्ष पहले बनाई गई थी। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से 9 करोड़ रुपये बिहार चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संरचना निगम को जारी किए गए। अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण के लिए आधारभूत संरचना विकसित करना निगम की जिम्मेदारी थी। छह माह से अधिक समय से निगम इसकी संचिका दबाए हुए है। कोई काम इस दिशा में अब तक नहीं हो पाया है। पीएमसीएच के बाद स्थापित आइजीआइएमएस में किडनी प्रत्यारोपण प्रारंभ हो गया है। अब तक 22 किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं, लेकिन पीएमसीएच में अभी तैयारी भी नहीं हो पाई है।
पांच डायलिसिस मशीनें खराब :
पीएमसीएच में कुल 11 डायलिसिस मशीनें हैं। इनमें से पांच खराब हैं। एक एचआइवी एवं एक हेपेटाइटिस-बीके मरीजों के लिए रिजर्व है। मात्र चार मशीनों से मरीजों का डायलिसिस चल रहा है। पीएमसीएच में डायलिसिस कराने के लिए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
नहीं चालू हुई टीएमटी मशीन :
पीएमसीएच में एक वर्ष से टीएमटी मशीन बक्से में बंद है। हार्ट के मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल होना था। लेकिन रखे-रखे ही मशीन खराब हो गई।
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पीएमसीएच में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने का प्रावधान है, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। यह काम केंद्र सरकार की एजेंसी को करना था। इसके लिए राज्य सरकार एवं केंद्र के बीच समझौता होना है, उसके बाद ही निर्माण कार्य प्रारंभ होगा।
- डॉ. एसएन सिन्हा, प्राचार्य, पीएमसीएच