CBI के चंगुल से बचने के लिए दिल्ली में तेजस्वी ने वकीलों से ली सलाह
बिहार में चल रहे सियासी घमासान के बीच उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव दिल्ली में सीबीआइ के आरोपों को लेकर वकीलों से सलाह मशविरा ले रहे हैं और इस शिकंजे से मुक्त होने के प्रयास में हैं।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में सियासी तकरार में उतार-चढ़ाव के बीच सबकी नजर तेजस्वी के अगले कदम पर टिकी है कि आगे क्या होने वाला है? तेजस्वी के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती 28 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र के पहले सीबीआइ के शिकंजे से बाहर निकलने की है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आज तेजस्वी यादव ने दिल्ली में वरिष्ठ वकीलों से मुलाकात की और सीबीआइ के आरोपों का जवाब देने के लिए विचार-विमर्श किया। आरोपों के बाद जदयू लगातार राजद पर हमलावर है और नीतीश ने भी तेजस्वी को जनता के बीच जाकर अपनी सफाई पेश करने की बात कही है।
सीबीआइ के फेर में फंसे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव महागठबंधन के महासंकट को कानूनी प्रक्रिया के जरिए सुलझाने में जुटे हैं। अदालत से राहत की चाहत में वह पिछले दो दिनों से दिल्ली में हैं और सीबीआइ के घेरे से निकलने के लिए कानूनविदों से मशवरा कर रहे हैं। बेगुनाही के दस्तावेज जुटा रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बंद कमरे में मुलाकात के अगले ही दिन तेजस्वी दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे। माना जा रहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया है कि अपने ऊपर लगे धब्बे को वह कानूनी प्रक्रिया के जरिए धोना चाहते हैं।
दिल्ली में सीनियर वकीलों की एक टीम को लालू प्रसाद के परिवार का मददगार माना जाता है। यही कारण है कि बंद कमरे में सीएम से शांति वार्ता के बाद डिप्टी सीएम बिना समय गंवाए दिल्ली चले गए थे। अभी दिल्ली में दो दिन और रहने की सूचना है। किंतु पटना में लालू प्रसाद एवं तेजस्वी की अनुपस्थिति में कई तरह की राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही हैं।
खासकर महागठबंधन के सहयोगी जदयू और विरोधी दल भाजपा की तेजस्वी की गतिविधियों पर पैनी नजर है। तेजस्वी की टीम अभी दो विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला विकल्प है सीबीआइ के एफआइआर को अदालत से रद कराने का।
अगर ऐसा नहीं होता है तो दूसरा रास्ता अग्रिम जमानत लेने का होगा। दोनों के लिए तेजस्वी के पास सिर्फ एक हफ्ते का समय है, क्योंकि विधानमंडल सत्र शुरू होने के बाद तेजस्वी के सवाल पर महागठबंधन की तकरार चरम पर होगी। खुद तेजस्वी भी सदन में सीएम के बगल में बैठते हुए असहज महसूस कर सकते हैं।
जारी रह सकती है तकरार
जदयू प्रवक्ताओं के सियासी पैतरे का संकेत है कि बेगुनाही के सबूत को सार्वजनिक करने तक तेजस्वी पर तकरार जारी रह सकती है। अगर तेजस्वी खुद को बेगुनाह साबित करने में असफल रहते हैं तो उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ सकता है।
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हालांकि नीतीश कुमार ने तेजस्वी को बता रखा है कि उन्होंने इस्तीफे की मांग कभी नहीं की है। मगर जदयू प्रवक्ताओं की बयानबाजी बता रही है कि मामले पर पूर्ण विराम अभी नहीं लगा है। जदयू अपने शीर्ष नेतृत्व के सिद्धांतों से समझौता नहीं करने वाला है।
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