सीट शेयरिंग को ले महागठबंधन में भी विवाद, ठंडे बस्ते में मांझी का ये प्रस्ताव
सीट शेयरिंग के मुद्दे पर महागठबंधन में भी पेंच फंस सकता है। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे के लिए जीतनराम मांझी ने जो प्रस्ताव दिया था, उसपर भी अबतक कोई हलचल नहीं दिख रही।
By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 03:12 PM (IST)
पटना [सुनील राज]। लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर राजग में रालोसपा का पेंच फंसा हुआ है। उधर, महागठबंधन में भी सियासी नोक-झोक पर नियंत्रण की कवायद रंग लाने के पहले ही दम तोड़ती नजर आ रही है। महागठबंधन में समन्वय समिति गठित करने का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने दिया था। लेकिन यह मामला खटाई में पड़ गया दिख रहा है।
समन्वय समिति गठित करने की वकालत मांझी ने कांग्रेस की ओर से लगातार लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर दिए जा बयान के बाद की थी। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी बयान जारी कर मांग कर रहे थे कि राजद और कांग्रेस के बीच समान रूप से सीटों का बंटवारा होना चाहिए। इस पर हम की ओर पलटवार भी किया गया। हम ने बयान में तर्क दिए गए कि दलों को उनकी राजनीतिक हस्ती के आधार पर सीटें दी जानी चाहिए।
यह विवाद आगे बढ़ता इसके पूर्व ही में मांझी ने विवाद की इतिश्री करने के इरादे से सभी दलों के सदस्यों की सहभागिता के साथ समन्वय समिति गठित किए जाने का प्रस्ताव दिया। मांझी ने इसका फॉर्मूला भी तय किया। सबसे बड़े सहयोगी राजद की ओर से तीन, कांग्रेस से दो और शेष सहयोगी दलों से एक-एक प्रतिनिधि को समन्वय में शामिल करने की बात कही।
यह पहला मौका नहीं था। इसके पूर्व 2016 में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह भी समन्वय समिति की वकालत करते रहे हैं। बहरहाल मांझी को उम्मीद थी कि उनका सुझाव सहयोगी दलों को मान्य होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
हम सूत्रों ने बताया कि राजद नेता तेजस्वी यादव समन्वय समिति के लिए तैयार नहीं। हालांकि, कांग्रेस इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। राजद के इनकार के साथ यह तय हो गया है कि समन्वय समिति का मामला अब खटाई में पड़ गया है। हालांकि, हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. दानिश रिजवान कहते हैं कि समन्वय समिति का मामला अधर में नहीं गया है।
समन्वय समिति गठित करने की वकालत मांझी ने कांग्रेस की ओर से लगातार लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर दिए जा बयान के बाद की थी। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी बयान जारी कर मांग कर रहे थे कि राजद और कांग्रेस के बीच समान रूप से सीटों का बंटवारा होना चाहिए। इस पर हम की ओर पलटवार भी किया गया। हम ने बयान में तर्क दिए गए कि दलों को उनकी राजनीतिक हस्ती के आधार पर सीटें दी जानी चाहिए।
यह विवाद आगे बढ़ता इसके पूर्व ही में मांझी ने विवाद की इतिश्री करने के इरादे से सभी दलों के सदस्यों की सहभागिता के साथ समन्वय समिति गठित किए जाने का प्रस्ताव दिया। मांझी ने इसका फॉर्मूला भी तय किया। सबसे बड़े सहयोगी राजद की ओर से तीन, कांग्रेस से दो और शेष सहयोगी दलों से एक-एक प्रतिनिधि को समन्वय में शामिल करने की बात कही।
यह पहला मौका नहीं था। इसके पूर्व 2016 में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह भी समन्वय समिति की वकालत करते रहे हैं। बहरहाल मांझी को उम्मीद थी कि उनका सुझाव सहयोगी दलों को मान्य होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
हम सूत्रों ने बताया कि राजद नेता तेजस्वी यादव समन्वय समिति के लिए तैयार नहीं। हालांकि, कांग्रेस इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। राजद के इनकार के साथ यह तय हो गया है कि समन्वय समिति का मामला अब खटाई में पड़ गया है। हालांकि, हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. दानिश रिजवान कहते हैं कि समन्वय समिति का मामला अधर में नहीं गया है।
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