महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में चरखा समिति का योगदान
प्रभावती देवी और जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा हमेशा से महिलाओं के उत्थान करने किया।
पटना। प्रभावती देवी और जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा हमेशा से महिलाओं के उत्थान करने की रही। स्त्री शक्ति को बढ़ावा देने के लिए गांधी भी हमेशा प्रयास करते रहे। महात्मा गांधी रचनात्मक कार्यो को हमेशा बढ़ावा देते रहे। गांधी ने चरखा को केंद्र में रखकर महिलाओं को इससे जुड़ने पर हमेशा बल दिया। गांधी के आदर्श को लोगों तक ले जाने में जयप्रकाश नारायण और प्रभावती का अहम रोल रहा है। महिलाओं को जागरूक करना और उसे घर से बाहर निकालकर श्रम, और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महिला चरखा समिति का गठन किया गया। ये बातें महिला चरखा समिति की अध्यक्ष तारा सिन्हा ने कहीं। मौका था महिला चरखा समिति के 78वां स्थापना दिवस पर कवि सम्मेलन के आयोजन का। कार्यक्रम का उद्घाटन चरखा समिति की मंत्री मृदुला प्रकाश, पूर्व आईएएस राम उपदेश सिंह, विजय प्रकाश, भगवती प्रसाद द्विवेदी, डॉ. मधु वर्मा, डॉ. वीणा कर्ण, डॉ. भावना शेखर, डॉ. शांति जैन ने किया।
घर से महिलाओं को बाहर निकालने में समिति का योगदान - तारा सिन्हा ने कहा आजादी के बाद भी महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी। घर से बाहर निकलना उनके लिए किसी तीर्थ पर जाने के बराबर था। पर्दा प्रथा भी घर से बाहर निकलने में सबसे बड़ी बाधा थी। महात्मा गांधी के प्रयास और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण का अहम रोल रहा जिससे महिलाओं को चरखा समिति के माध्यम से सशक्त बनाया गया। समिति के प्रथम अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बने लेकिन 1946 में प्रसाद को दिल्ली जाने के बाद जयप्रकाश नारायण समिति का कार्यभार संभालने लगे। 1952 में सोसाइटी एक्ट 1860 के तहत महिला चरखा समिति का रजिस्ट्रेशन किया गया और फिर अपना भवन बना।
तीर्थ स्थल से कम नहीं है परिसर - कवि सत्यनारायण ने जयप्रकाश भवन और महिला चरखा समिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह स्थान किसी तीर्थ से कम नहीं है। बीते दिनों की याद करते हुए कहा कि 1974 में आपातकाल के दौरान पूरे देश में राजनीति की ऐसी आग की लपेटे हुई जिसमें पूरा देश समाहित हो गया। इमरजेंसी लगने के एक दिन पूर्व जयप्रकाश, प्रभावती आदि कई लोगों को जमावड़ा लगा था। दुर्लभ संयोग है कि आज के दिन हीं सारे लोग फिर से एकत्र हुए हैं। इमरजेंसी लगी तो उस समय लंदन टाइम्स ने 27 जून 1975 को एक लेख लिखा जो पूरे देश में चर्चा का विषय बना था। उस दौर में सभी लोग डरे हुए थे कि कब किसे पुलिस उठा कर ले जाए। जयप्रकाश को याद करना अपने आप में बड़ी बात है। स्वास्थ्य में गिरावट आने के बाद जयप्रकाश जिंदा थे उनकी आखिरी इच्छा संपूर्ण क्रांति की रही। आज की स्थिति बहुत अलग है। अपेक्षित गरिमा से जीना लोगों को मुश्किल हो गया है।
समिति को मिला दो लाख रुपये का चेक - महिला चरिखा समिति में बने पुस्तकालय को बेहतर ढंग से चलाने के लिए सिन्हा लाइब्रेरी के निदेशक चंद्रशेखर सिंह ने दो लाख रुपये का चेक सौंप पुस्तकालय को और व्यवस्थित करने की बात कही। सिंह ने कहा कि बीते कई सालों से पांच हजार रुपये वार्षिक राशि के रूप में दिया जाता था जो अब वार्षिक राशि दो लाख रुपये कर दिया गया है। आने वाले समय में प्रयास किया जाएगा कि राशि को पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष देने की बात हो।
कवि गोष्ठी पर कवियों ने रखी अपनी बात - कवियत्री मिथिलेश कुमारी मिश्र की स्मृति में सभागार में मौजूद कवि सत्यनारायण, भावना शेखर, नीता सिन्हा आदि ने एक से बढ़कर एक कविता पेश कर लोगों को मन मोह लिया। नीता सिन्हा ने चरखा से हम नारियों की जिंदगी, भावना शेखर ने कमाऊ बेटे की योजना है आदि को पढ़कर लोग का दिल जीता। मौके पर गणमान्य लोगों को समिति की ओर से अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।