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बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड : जानकारी देने पर मिलेंगे 10 लाख, इश्तेहार हुआ जारी

सीबीआई ने बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड की जानकारी देनेवालों को दस लाख का इनाम देने की घोषणा की है साथ ही इसके लिए इश्तेहार चिपकाकर आम लोगों से इस बारे में सहयोग करने की बात कही है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 12:01 PM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 09:26 PM (IST)

पटना [जेएनएन]। बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड में सीबीआई ने दस लाख का इनाम घोषित किया है और आम लोगों से अपील की है कि इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में आगे आएं और इसकी पूरी जानकारी सीबीआई को बताएं। सीबीआई के आरक्षी अधीक्षक की ओर से इस हत्याकांड का इश्तेहार जारी किया गया है।

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सीबीआई की ओर से कहा गया है कि हत्याकांड की जानकारी देने वाले को दस लाख का इनाम दिया जाएगा और जानकारी देने वाले की पूरी जानकारी गुप्त रखी जाएगी। बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआई अनुसंधान कर रही है, वह भले ही अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पायी हो, लेकिन समय के साथ-साथ केस के अनुसंधानकर्ता लगातार बदलते रहे हैं।

जानिए अब तक क्या-क्या बदलाव हुए?

एक जून वर्ष 2012 में हत्या के बाद तत्कालीन डीजीपी के आदेश पर कांड के भंडाफोड़ के लिए शाहाबाद रेंज के तत्कालीन डीआईजी अजिताभ कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया था। तब कांड का अनुसंधानकर्ता डीएसपी सुनील कुमार को बनाया गया था।

डीएसपी सुनील कुमार को 30 दिनों के अंदर रिपोर्ट देना था, इसी बीच डीएसपी का तबादला हो गया था। कांड का नया अनुसंधानकर्ता एसआईटी के इंस्पेक्टर सोने लाल सिंह को बनाया गया था।

फिर नवादा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जांच के दौरान पुलिस ने आठ आरोपियों के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित किया था। सीबीआई द्वारा केस का चार्ज लिए जाने के बाद जेल में बंद आरोपियों को एक-एक कर कोर्ट से जमानत मिल गई थी।

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लेकिन, रंगदारी मांगे जाने का विरोध, संगठन में हथियार को लेकर अंदरूनी विवाद से लेकर भाकपा-माले से वर्चस्व की लड़ाई सहित कई अन्य बिन्दुओं पर तफ्तीश के बाद भी सीबीआई को इस केस में कोई भी महत्वपूर्ण सुराग हाथ नहीं लग सका है।

कौन थे बरमेश्वर मुखिया

70 वर्षीय बरमेश्वर नाथ सिंह उर्फ बरमेश्वर मुखिया मूलरूप से भोजपुर जिले के पवना थाना के खोपिरा गांव के निवासी थे। शहर में नवादा थाना के कतिरा-स्टेशन रोड मोहल्ला में रहते थे। एक जून वर्ष 2012 की सुबह चार बजे वे आवास की गली में टहल रहे थे।

इसी दौरान सेना सुप्रीमो मुखिया की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस केस की जांच पहले तत्कालीन डीजीपी अभयानंद के निर्देश पर गठित एसआईटी की टीम कर रही थी। लेकिन, मुखिया समर्थक केस में सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। इसके बाद राज्य सरकार ने जांच के लिए अनुशंसा भेजी थी।

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तीस से अधिक नरसंहारों के आरोपी रहे चुके थे बरमेश्वर मुखिया

करीब तीस से अधिक नरसंहारों के आरोपी रहे चुके स्व बरमेश्वर मुखिया वर्ष 2002 में पकड़े गए थे। उन पर पांच लाख रुपए का इनाम भी था। गिरफ्तारी के बाद वर्ष 2011 में मुखिया आरा जेल से जमानत पर रिहा हुए थे। इसके बाद बिहार के अलग-अलग जिलों में घूम कर किसानों को संगठित करने का भी काम कर रहे थे।

इसी दौरान उनकी अचानक गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिनमें चंद राजनीतिक रसूखदारों के भी नाम चर्चा में आये थे। तब एसआईटी की टीम ने भी उनसे पूछताछ भी की थी।

जुलाई वर्ष 2013 से सीबीआई कर रही जांच

18 जुलाई वर्ष 2013 से सीबीआई ने इस केस की जांच शुरू की थी। लेकिन, जांच प्रक्रिया के तीन साल चार महीना गुजरने के बाद भी सीबीआई इस केस में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है।


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