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सीबीआइ का अंदेशा, मैनेज हुए हैं 3000 करोड़ के टेंडर

सीबीआइ को बाढ़ स्थित एनटीपीसी प्लांट में करीब 3000 करोड़ से भी अधिक के टेंडर स्थानीय बाहुबली राजनेताओं द्वारा मैनेज किए जाने के पुख्ता सबूत मिले हैं। जांच के आरंभिक दौर में साफ हो गया है कि यहां से निर्गत होने वाले टेंडरों पर बाहुबलियों की मजबूत पकड़ रही है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 10:15 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 10:34 AM (IST)

पटना। सीबीआइ को बाढ़ स्थित एनटीपीसी प्लांट में करीब 3000 करोड़ से भी अधिक के टेंडर स्थानीय बाहुबली राजनेताओं द्वारा मैनेज कर लिए जाने के पुख्ता सबूत मिले हैं। जांच के आरंभिक दौर में ही साफ हो गया है कि यहां से निर्गत होने वाले टेंडरों पर इन बाहुबलियों की इतनी मजबूत पकड़ रही है कि वे अपनी मर्जी से टेंडर की रकम तक का निर्धारण करते रहे हैं।

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वह भी निर्धारित रेट से दोगुना अधिक कीमत पर। प्लांट के औचक निरीक्षण में सीबीआइ को कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिससे साबित होता है कि टेंडर की रकम तक इन बाहुबलियों ने अपनी हनक से घटवाया-बढ़वाया है।

दस्तावेजों की जांच में सीबीआइ को कई ऐसे सबूत भी मिले हैं जिससे स्पष्ट होता है कि इन बाहुबलियों ने एनटीपीसी की बाढ़ इकाई से निर्गत होने वाले टेंडरों को मैनेज करने के लिए कई नामों से अपनी कंपनियां खोल रखी हैं। एनटीपीसी के अधिकारियों से सांठगांठ कर इन कंपनियों के नाम से अलग-अलग टेंडर डालकर बोलियां लगाई जाती रहीं हैं।

सीबीआइ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार के अभी इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। लेकिन आरंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर बहुत जल्द ही प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी है।

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बाढ़ स्थित एनटीपीसी प्लांट में पिछले 15 वर्षों से चल रहे निर्माण और सप्लाइ के नाम पर हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ की टीम ने प्लांट के मेटेरियल, सप्लाइ और परचेज डिपार्टमेंट से सैकड़ों फाइलों को जब्त कर लिया है।

साथ ही, कंप्यूटर के डाटा कार्ड भी जब्त किए गए हैं। सबूतों को नष्ट किए जाने की आशंका को लेकर सीबीआइ की टीम कई दस्तावेज अपने साथ ले गई है। जबकि प्लांट के स्टोर रूम, मेटेरियल व सप्लाइ डिपार्टमेंट के कुछ कमरों को सील कर दिया है। जब्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि इस प्लांट के सभी छोटे-बड़े ठेकों में यहां के स्थानीय बाहुबली राजनेताओं की ही चलती है।

उनके डर से बाहरी कंपनियां यहां से निर्गत होने वाले टेंडरों में भाग तक नहीं लेतीं। अब स्थानीय बाहुबलियों की ये सभी कंपनियां सीबीआइ जांच के घेरे में हैं। टेंडर मैनेज करने में इन बाहुबली राजनेताओं की हनक कुछ ऐसी है कि वे अपनी मर्जी से टेंडर की रकम तक तय करते रहे हैं। सीबीआइ की टीम ने इस मामले में एनटीपीसी के कई वरिष्ठ अधिकारियों और अभियंताओं से अपनी पूछताछ का काम पूरा कर लिया है।


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