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विराट रामायण मंदिर पर कंबोडिया की आपत्ति, निर्माण रोकने की मांग

बिहार के पूर्वी चम्पारण स्थित केसरिया में बनने वाले विराट रामायण मंदिर को लेकर कंबोडिया सरकार ने भारत सरकार से आपत्ति दर्ज कराई है। कंबोडिया सरकार का कहना है पटना के महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा केसरिया में बनने वाला विराट रामायण मंदिर अंकोरवाट मंदिर का प्रतिरूप है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 10:32 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 10:41 AM (IST)
विराट रामायण मंदिर पर कंबोडिया की आपत्ति, निर्माण रोकने की मांग

पटना। बिहार के पूर्वी चम्पारण स्थित केसरिया में बनने वाले विराट रामायण मंदिर को लेकर कंबोडिया सरकार ने भारत सरकार से आपत्ति दर्ज कराई है। कंबोडिया सरकार का कहना है पटना के महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा केसरिया में बनने वाला विराट रामायण मंदिर अंकोरवाट मंदिर का प्रतिरूप है।

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हालांकि महावीर मंदिर न्यास समिति इससे इन्कार करती है। कंबोडिया ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि जब तक मामला हल नहीं हो जाता तब तक मंदिर के निर्माण पर रोक लगाई जाए।

महावीर मंदिर न्यास समिति की ओर से केसरिया में दुनिया के सबसे बड़े मंदिर (विराट रामायण मंदिर) के निर्माण की योजना है। महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का कहना है कि कंबोडिया की आपत्ति के बाद उन्होंने भारत सरकार से एक बैठक आयोजित करने का आग्रह किया है, जिसमें विदेश मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, महावीर मंदिर न्यास समिति एवं कंबोडिया सरकार के प्रतिनिधि रहें।

इस बैठक में मंदिर के आर्किटेक्ट भी मौजूद रहेंगे, जो भारत सरकार एवं कंबोडिया सरकार के प्रतिनिधियों को बताएंगे कि केसरिया में बनने वाला विराट रामायण मंदिर किस प्रकार अंकोरवाट मंदिर से अलग है।

आचार्य कुणाल ने कहा कि महावीर मंदिर न्यास समिति कंबोडिया के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए अंकोरवाट मंदिर से अलग स्वरूप में विराट रामायण मंदिर बनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने सभी पक्षों से अनुरोध किया कि इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं। यह बिल्कुल धार्मिक मामला है और विराट रामायण मंदिर भारत के कई प्राचीन मंदिरों के आर्किटेक्ट पर आधारित होगा।

उन्होंंने कहा कि महज संयोगवश पूर्व में इस मंदिर का नाम अंकोरवाट विराट राम मंदिर रखा गया था, लेकिन कंबोडिया सरकार की आपत्ति के बाद इसमें बदलाव कर दिया गया है। विराट रामायण मंदिर 500 करोड़ का प्रोजेक्ट है। यह पूरी तरह से मॉडर्न आर्किटेक्ट पर आधारित होगा। आचार्य कुणाल ने कहा कि अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि दुनिया के किसी मंदिर का प्रतिरूप नहीं बनाया जा सकता है।

दुनिया भर में कई मंदिर एक-दूसरे के स्वरूप में बने हैं, लेकिन विराट रामायण मंदिर को किसी तरह के विवाद से बचाने के लिए कंबोडिया की आपत्ति के बाद नाम में बदलाव किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मामला सुलझा लिया जाएगा और मंदिर का निर्माण शीघ्र ही प्रारंभ हो जाएगा।


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