बिहार में तीन साल में तीन गुना ताकतवर हुई भाजपा
22 महीने पहले बिहार में सरकार से अलग होने के बाद भाजपा ने संगठन के विस्तार पर जिस तेजी से विशेष ध्यान देना शुरू किया उसके परिणाम अब दिखाई देने लगे हैं।
पटना (सुभाष पांडेय)। 22 महीने पहले बिहार में सरकार से अलग होने के बाद भाजपा ने संगठन के विस्तार पर जिस तेजी से विशेष ध्यान देना शुरू किया उसके परिणाम अब दिखाई देने लगे हैं। तीन साल पहले जहां भाजपा के सूबे में बाइस लाख सदस्य थे, वहीं अब इनकी संख्या साठ लाख से अधिक हो गई है। उम्मीद है कि पार्टी 75 लाख सदस्य बनाने के अपने लक्ष्य को जल्द ही हासिल कर लेगी।
प्रदेश में भाजपा का सदस्यता अभियान 1 नवंबर, 2014 से शुरू हो गया था। हालांकि झारखंड विधानसभा चुनाव की वजह से बिहार में यह अभियान 6 जनवरी से गति पकड़ा। मंगलवार को सदस्यता अभियान का आखिरी दिन रहा।
भाजपा ने पहले बिहार में 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन विधानसभा चुनाव और कार्यकर्ताओं के उत्साह को देखते हुए लक्ष्य बढ़ाकर 75 लाख कर दिया गया। झारखंड के लिए लक्ष्य 25 लाख का था।
बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव के मुताबिक, बिहार और झारखंड में मंगलवार शाम तक 75 लाख 29 हजार लोग सदस्य बन गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि इस बार सदस्य बनाने की प्रक्रिया ऑनलाइन हो रही है। बिहार और झारखंड की टेलीकाम सर्किल एक होने के कारण दोनों राज्यों के आंकड़े मिलेजुले हैं। इसीलिए अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बिहार में वास्तव में कितने लोग सदस्य बने हैं, फिर भी अनुमान है करीब साठ लाख लोग बिहार में सदस्य बने हैं।
सदस्यता अभियान के अंतिम दिनों में गति काफी तेज रही। 30 मार्च को दो लाख 62 हजार और 31 मार्च को दो लाख उनसठ हजार लोग भाजपा से जुड़े। हालांकि बिहार व अन्य राज्यों से सदस्यता अभियान की अवधि बढ़ाने की मांग को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने इसकी अवधि 30 अप्रैल तक बढ़ा दी है।
मंगल पांडेय ने कहा कि एक महीने का समय मिल जाने से पार्टी अब बिहार में अकेले 75 लाख सदस्य बनाने के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगी।