बिहार को याद हैं कलाम के टेन कमांडमेंट्स
पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम को बिहार से खास लगाव था। उन्होंने प्रदेश के विकास के लिए दस सूत्री मंत्र सुझाए थे, जिसपर नीतीश कुमार की सरकार ने अमल किया। बिहार को उनके वे 'टेन कमांडमेंट्स' अभी भी याद हैं।
पटना। पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम को बिहार से खास लगाव था। उन्होंने प्रदेश के विकास के लिए दस सूत्री मंत्र सुझाए थे, जिसपर नीतीश कुमार की सरकार ने अमल किया। बिहार को उनके वे 'टेन कमांडमेंट्स' अभी भी याद हैं।
डाॅ. कलाम जब 2006 में विधानसभा एवं विधान परिषद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने आए थे तब उन्होंने बिहार की पुरानी गरिमा की सभी को याद दिलाते हुए कहा था कि विधायकों एवं विधान पार्षदों को उससे प्रेरणा लेते हुए प्रदेश के विकास और समृद्धि के लिए नई शुरुआत करनी चाहिए।
उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया था कि पानी की बेहतर उपलब्धता, उर्वर भूमि और मेहनतकश लोगों के रहते हुए भी कृषि बदहाल है। कृषि पर विशेष ध्यान की सलाह उनका पहला कमांडमेंट था।
उन्होंने कहा था कि धान का उत्पादन 5.5 मिलियन टन से बढ़ाकर 15 मिलियन टन और गेहूं का उत्पादन 4 मिलियन टन से बढ़ाकर 12 मिलियन टन तक चार सालों में ले जाने का उन्होंने टास्क दिया था।
उन्होंने उसी समय कहा था कि बिहार दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत कर सकता है। उन्होंने महाराष्ट्र की तरह सूगर को-आपरेटिव बनाने कहा था जो मिलकर कम से कम 10 चीनीं मिलें खोले ताकि सूबे में करीब एक करोड़ मीट्रिक टन पैदा हो गन्ने का भरपूर उपयोग हो सके।
यही नहीं, उन्होंने सुझाव दिया था कि बिहार स्टेट को-आपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन(काम्फेड) को सभी 38 जिलों में अपनी सक्रियता बढ़ानी चाहिए ताकि तीन से चार सालों में अतिरिक्त 7.5 लाख परिवारों को खुद का रोजगार मिल सके।
शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताते हुए दूसरे कमांडमेंट के रूप में सुझाव दिया था साक्षरता दर को तत्कालीन 47.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 2010 तक 75 प्रतिशत और 2015 तक शत प्रतिशत किया जाए।
शिक्षण संस्थानों में एकेडेमिक कैलेंडर लागू हो और मानव संसाधन मंत्रालय बिहार में आइआइटी, इंडियन इंस्टीच्यूट आफ साइंस तथा 10 स्टेट आफ आर्ट तकनीकी संस्थान खोले।
तीसरा सुझाव शुद्ध रूप से युवाओं से संबंधित था। उनका कहना था कि 2050 तक बिहार में युवाओं की आबादी करीब 45 मिलियन हो जाएगी और उन्हें ध्यान में रख अभी से विश्वविद्यालय बनें और दो प्रकार की ट्रेनिंग दी जाए-पहला स्किल्ड युवाओं का एक ग्लोबल कैडर बने जिनके पास विशेष दक्षता हो और दूसरा ग्लोबल कैडर ऐसा बने जो रिसर्च और लीडरशिप का काम देखे।
चौथी सलाह के रूप में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुन: चालू करना और इसके लिए 500 करोड़ का बजट अंतरराष्ट्रीय पार्टनरशिप में तैयार किया जाए। उनकी पांचवीं सलाह राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार तथा मोबाइल क्लीनिक चलाने की थी। इसके लिए सरकार लोगों से हर माह तीन रुपये का योगदान भी ले सकती है।
इससे राज्य को हर साल 576 करोड़ रुपये मिल जाएंगे। छठी सलाह बाढ़ नियंत्रण के लिए सेटेलाइट मैपिंग की थी, साथ ही गंगा की ड्रेजिंग करने की। दक्षिण और उत्तर बिहार की नदियों को जोड़कर 500 किलोमीटर लंबे जलमार्ग बनाने की भी बात की थी ताकि सिंचाई की क्षमता बढ़ सके।
सातवां कमांडमेंट नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के मेंटेनेंस के साथ करीब 35 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का बारहमासी सड़क में तब्दील करने के संबंध में था। साथ ही कम से कम 1000 मेगावाट के एक न्यूक्लियर पावर प्लांट की स्थापना के लिए कहा था। आठवां सुझाव सिंगापूर से म्यांमार होते हुए बोधगया तक ग्रैंड एशियन रोड बनवाने का था जिससे कि पर्यटन को बड़ा उछाल मिल सके।
उनका कहना था कि पर्यटन विकास से बिहार में चार मिलियन को रोजगार मिल सकता है, साथ ही 10 मिलियन डालर की सालाना आमदनी भी। उनका 9वां कमांडमेंट 10 एक्सक्लूसिव इकोनोमिक जोन बनाने के सबंध में था जहां चीनी, धागे, सिल्क धागे, लेदर, खेलकूद की सामग्री तथा एग्रो-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की स्थापना की जा सके।
उनका दसवां एवं अंतिम कमांडमेंट ई-गवर्नेंस तथा प्रशासनिक सुधार प्रक्रिया में तेजी लाने से संबंधित था, ताकि राज्य की सामाजिक एवं आर्थिक तरक्की को नई रफ्तार दी जा सके। नीतीश सरकार ने अपने दस सालों के कार्यकाल में उनके अधिकांश सुझावों पर अमल किया है।