बिहार चुनाव : वादों की ब्रांडिंग में बदली होर्डिंग
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय के जवाब में भाजपा ने दृष्टिपत्र के वादों की ब्रांडिंग शुरू कर दी है। राजधानी पटना सहित प्रदेश में लगे 1.25 लाख करोड़ रुपये पैकेज के सभी होर्डिंग को बदलने के साथ भाजपा ने प्रचार वार को धार देने की तैयारी तेज कर दी
पटना [रमण शुक्ला]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय के जवाब में भाजपा ने दृष्टिपत्र के वादों की ब्रांडिंग शुरू कर दी है। राजधानी पटना सहित प्रदेश में लगे 1.25 लाख करोड़ रुपये पैकेज के सभी होर्डिंग को बदलने के साथ भाजपा ने प्रचार वार को धार देने की तैयारी तेज कर दी है।
दरअसल, भाजपा रणनीतिकारों की कोशिश है कि 12 अक्टूबर को पहले चरण के मतदान से पूर्व दृष्टिपत्र के 11 महत्वपूर्ण बिंदुओं को सीधे जनता से जोड़ा जाए। विद्यार्थियों को लैपटॉप, छात्राओं को स्कूटी, महिलाओं, बेरोजगारों, किसानों, गरीबों, दलित और महादलितों से किए गए वादे को प्रचार के जरिए जरूरत मंदों तक पहुंचा दिया जाए।
भाजपा ने फिर से सारे होर्डिंग बदल दिए हैं। दरअसल, भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि नीतीश के निश्चय को उभारने के लिए महागठबंधन ने नये सिरे से जो होर्डिंग्स लगाए हैं वह काफी प्रभावकारी है। ऐसे में दृष्टपत्र के वादों को उभारने के साथ महागठबंधन के कमजोरियों को उजागर करने वाले स्लोगन गढऩे का सिलसिला भाजपा में परवान पर है।
ये हैं नये स्लोगन
बदलिए सरकार, बदलिए बिहार, उद्योग और रोजगार के लिए बदलिए सरकार, बिजली और विकास के लिए बदलिए सरकार जैसे नारों के अलावा परिवारवाद, अहंकारवाद, जातिवाद, जंगलराज, फासीवाद, सामंतवाद, अलगाववाद चाहिए या विकासवाद। इसी तरह दृष्टिपत्र के वादों को नारा नहीं संकल्प के रूप में जनता के समक्ष भाजपा ने परोसने की मुहिम शुरू की है।
भाजपा ने स्लोगन के जरिए जदयू, कांग्रेस और राजद को निशाना बनाया है। कांग्रेस और राजद के परिवारवाद के अलावा नीतीश कुमार के अहंकार को मुद्दा बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों के प्रमुख अंश को भी भाजपा ने स्लोगन में गढ़ा है।
मतदान के तारीख नजदीक आते ही दोनों पार्टियों के थिंक टैंक नए-नए नारे गढऩे में जुटे हैं। अब नारे बनाने में भाजपा महारथी मानी जाती थी लेकिन जदयू भी इस बार उसके सामने डटी हुई है।
महागठबंधन के खिलाफ भाजपा ने अपराध, भ्रष्टाचार और अहंकार, क्या इस गठबंधन से बढ़ेगा बिहार? हम बदलेंगे बिहार, अबकी बार भाजपा सरकार को प्रमुखता से लिया है। कोई दल भ्रष्टाचार मिटाने का सुनहरे सपने दिखाकर अच्छे दिन की उम्मीद पैदा करने में जुटा है तो कोई सुशासन देने का वादा कर रहा है। लेकिन राजनीतिक दलों के पास न तो समय है, न ही नीयत और न ही कोई ऐसा तरीका है जिससे वो आम आदमी का जीवन आसान बना की पहल करें।