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बिहार विधान परिषद चुनाव का सस्पेंस बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग से 6 जुलाई तक हलफनामा देकर बिहार विधान परिषद के लिए चुने जाने वाले सदस्यों का कार्यकाल (टर्म) पूरा होने की प्रक्रिया बताने का निर्देश देकर इस चुनाव को दिलचस्प मोड़ पर ला दिया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 10:42 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 10:48 AM (IST)

पटना [सुभाष पांडेय]। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग से 6 जुलाई तक हलफनामा देकर बिहार विधान परिषद के लिए चुने जाने वाले सदस्यों का कार्यकाल (टर्म) पूरा होने की प्रक्रिया बताने का निर्देश देकर इस चुनाव को दिलचस्प मोड़ पर ला दिया है।इससे किसी थ्रीलर फिल्म की तरह चुनाव पर सस्पेंस की स्थिति बन गई है।

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पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग और बिहार विधान परिषद की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने चुनाव आयोग को मतदान से एक दिन पहले यानी 6 जुलाई को हलफनामा देकर स्पष्ट करने को कहा है कि इस द्विवार्षिक चुनाव में सदस्यों के कार्यकाल निर्धारित करने की प्रक्रिया क्या होगी।

यहां बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने देवेश चंद्र ठाकुर और बैद्यनाथ प्रसाद की एक लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग और बिहार विधान परिषद से 30 जून तक कार्यकाल पूरा होने की प्रक्रिया बताने को कहा था।

सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में बिहार विधान परिषद की ओर से एल नागेश्वर राव ने दलील दी कि कार्यकाल के निर्धारण के लिए लॉटरी ही एकमात्र उपाय है, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से अशोक देसाई ने कहा कि राज्यसभा और विधान परिषद की सीटों का लॉटरी से कार्यकाल तय करने का अधिकार संविधान ने एक बार के लिए ही दिया है। 1953 में कार्यकाल तय करने के लिए इसका उपयोग किया जा चुका है। दुबारा लॉटरी के लिए संविधान संशोधन करना होगा।

चुनाव आयोग की यह दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने आयोग से 6 जुलाई तक हलफनामा देकर स्पष्ट करने को कहा कि इन 24 सीटों के लिए जो सदस्य चुने जाएंगे उनका कार्यकाल पूरा होने की प्रक्रिया क्या होगी।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद प्रत्याशियों की जहां धड़कनें तेज हो गई हैं वहीं उनकी मु_ी भी बंद हो गई है। विधान परिषद का यह चुनाव प्रत्याशी अपने संसाधनों से लड़ते रहे हैं। मतदाता पंचायत प्रतिनिधियों को मतदान केंद्रों तक लाने की उन्हें खुद व्यवस्था करनी पड़ती है। ऐसे में अधिकांश प्रत्याशियों ने अपनी मु_ी को बंद कर लिया है। 6 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही अब इसके खुलने की संभावना है।


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