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विधानसभा चुनाव : उनकी रैली, इनकी तेजी

बिहार में परिवर्तन की आस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों ने राजद और जदयू कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है। उन्हें कई ऐसे मुद्दे मिलने लगे हैं, जिनके दम पर गांवों में अपने पक्ष में लहर पैदा कर सकते हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 08:16 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 08:26 AM (IST)
विधानसभा चुनाव : उनकी रैली, इनकी तेजी

पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार में परिवर्तन की आस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों ने राजद और जदयू कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है। उन्हें कई ऐसे मुद्दे मिलने लगे हैं, जिनके दम पर गांवों में अपने पक्ष में लहर पैदा कर सकते हैं।

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मुजफ्फरपुर रैली के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो गए हैं। मोदी द्वारा डीएनए पर दिए गए बयान का सीधा निशाना तो नीतीश कुमार की ओर था, लेकिन राजद कार्यकर्ता इसे गांवों तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।

जदयू भी रणनीति के साथ अपने तरीके से इसे तूल देने में जुट गया है। तय है कि इस चुनाव में डीएनए और जातिगत जनगणना के मुद्दे पर हवा बनाने-बिगाडऩे की भरपूर कोशिश होगी।

नए मुद्दे के साथ लालू

कालाधन और रोजगार के मुद्दे पर अब तक हंगामा मचा रहे लालू प्रसाद को केंद्र सरकार ने हाल के दिनों में दो बड़े मुद्दे और थमा दिए। एक जातिगत जनगणना और दूसरा डीएनए। राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का मानना है कि अपनी पहली ही रैली में प्रधानमंत्री मोदी की जुबान पटरी से उतर गई। अभी तो और भी कई रैलियां होनी हैं।

वह जितना बोलेंगे, जनता परिवार को उतने ही मजबूत हथियार मिलते जाएंगे। आगे-आगे देखिए होता है क्या? मतलब साफ है कि मोदी अपनी प्रचार शैली को जितनी धार देंगे, उनके विरोधी उनके ही बयानों को आधार बनाकर खुद को उतना ही मजबूत करने की कोशिश करते नजर आएंगे। ऐसे में इस बार तील को ताड़ बनाने की कला भी पराकाष्ठा पर पहुंच सकती है।

अब गया पर नजर

मुजफ्फरपुर के बाद अब राजद और जदयू की नजर मोदी की 9 अगस्त की गया रैली पर है। इसके बाद 19 अगस्त की सहरसा और 30 अगस्त की भागलपुर रैली का भी इंतजार किया जा रहा है। उक्त रैलियों में प्रधानमंत्री क्या बोलते हैं और बिहार के लिए क्या-क्या करते हैं, बहुत कुछ जनता परिवार की आगे की रणनीति इस पर भी तय करेगी।

राजद नेताओं के मुताबिक मोदी का मुजफ्फरपुर दौरा बहुत प्रभावशाली साबित नहीं हो सका। ऐसा नहीं लगा कि वह बिहार को कुछ देकर गए हैं। आगे की रैलियों में अगर वह बिहार के लिए कुछ खास घोषणा नहीं करते हैं तो राजद-जदयू को हमलावर होने का मौका मिल जाएगा।

फासले का फलसफा

इस बीच लालू-नीतीश की एकजुटता को आधार देने की पहल भी तेज कर दी गई है। इसका संकेत मुख्यमंत्री के उस बयान से मिलता है जब पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम को याद करते हुए उन्होंने यह कह दिया कि डा. कलाम ने विकास के लिए दोनों (लालू-नीतीश) को मिलकर काम करने की नसीहत दी थी। उनके इस बयान को एक-दूसरे के और करीब आने तथा गठजोड़ को जायज ठहराने का प्रयास माना जा रहा है।

कई मौकों पर नीतीश यह भी बोल चुके हैं कि नरेंद्र मोदी को लालू प्रसाद ही जवाब देंगे। बयानों के जरिए कार्यकर्ताओं का फासला भी मिटाया जा रहा है। संभव है बहुत जल्द कांग्र्रेस के साथ संयुक्त प्रचार का भी आगाज कर दिया जाए। वैसे शरद यादव ने संकेत दिया है कि अगस्त में जनता परिवार का साझा प्रचार कार्यक्रम तय किया जाएगा।

नारे से वारे-न्यारे

जदयू और राजद के नेता-कार्यकर्ता यह जानकर उत्साहित हैं कि भाजपा ने हाल के दिनों में अपना एक और स्लोगन बनाया है, जिसमें तेज विकास की बात कही गई है। अब तक भाजपा की तरफ से भ्रष्टाचार, अपराध और अहंकार से कैसे चलेगा बिहार का स्लोगन ही चौक चौराहों पर प्रमुखता से नजर आता था, लेकिन तेज विकास की बात भी अपने दिखने लगी है।

जदयू नेताओं के मुताबिक जब भाजपा को नीतीश सरकार में कोई खोट नजर नहीं आई तो अब तेज विकास की बात कर रही है। इससे इतना तो स्पष्ट हो जाता है कि अब भाजपा ने भी मान लिया है कि नीतीश कुमार ने राज्य में विकास कराया है। जाहिर है, भाजपा के इस स्लोगन को भी जदयू के रणनीतिकार भुनाने में जुटे हैं। जल्द ही चौक-चौराहों पर कुछ ऐसा दिख सकता है जिसमें नीतीश कुमार की टीम भाजपा के हथियार से ही उसपर वार करती नजर आएगी।


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