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अजब-गजब : यहां के लोग सुबह-सुबह नहीं लेते अपने गांव का नाम, जानिए...

विज्ञान की तेज गति ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित टोटकों के आगे कभी-कभी धीमी लगती है। बिहार के सिवान स्थित सिसवन प्रखंड के घुरघाट गांव में ऐसा ही दिखता है। यहां के लोग सुबह में अपने गांव का नाम नहीं बताते।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 03 May 2016 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 04 May 2016 10:11 AM (IST)

पटना। विज्ञान की तेज गति ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित टोटकों के आगे कभी-कभी धीमी लगती है। बिहार के सिवान स्थित सिसवन प्रखंड के घुरघाट गांव में ऐसा ही दिखता है। यहां के लोग सुबह में अपने गांव का नाम नहीं बताते।

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इसके पीछे यह मान्यता है कि नाम बताने से उस दिन के लिए उनका भाग्य बिगड़ जाएगा। जरूरत पडऩे पर अगर सुबह में गांव का नाम बताना पड़े, तो ग्रामीण 'घुरघाट' के बदले 'बेगूसराय' कह काम चलाते हैं।

गांव में मान्यता है कि अगर प्रात:काल में ग्रामीण इसका नाम लें तो उनका बना काम भी बिगड़ जाएगा। ग्रामीणों के अनुसार इससे व्यवसाय में घाटा, दुर्घटना, मृत्यु या किसी अन्य परेशानी आदि से सामना होता है या इसके समाचार मिलते हैं।

गांव के चंद्रिका लाल शर्मा के अनुसार इस कारण वे व्यवसाय में घाटा भोग चुके हैं। ग्रामीण संतोष शर्मा की मानें तो एक सुबह इस गांव का नाम लेने के कारण वे एक झूठे मुकदमें में फंस गए थे। गांववालों ने कहा कि इस कारण 'घुरघाट' को सुबह में 'बेगूसराय' के नाम से पुकार कर काम चलाया जाता है।

आसपास के सभी लोग इस तथ्य को जानते हैं। लेकिन जब कोई अजनबी सुबह में यहां के रास्ते से गुजरते हुए गांव का नाम पूछता है, तब प्रत्युत्तर में बेगूसराय सुन आश्चर्यचकित हो जाता है। उसे लगता है कि सामने वाला व्यक्ति मजाक कर रहा है। आगे बढऩे पर दूसरा ग्रामीण भी उसी तरह का उत्तर देता है। तब भ्रमित व्यक्ति आगे बढ़ दूसरे गांव जाकर ही माजरा समझ पाता है। यह मान्यता न सिर्फ घुरघाट बल्कि आस-पास के गांवों में भी प्रचलित है।

इस टोटके का प्रचलन कब से है, यह गांव के बड़े-बुजुर्ग भी नहीं बता सके। ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा सौ-दो सौ साल पुरानी जरूर होगी। उन्होंने कहा कि घुरघाट नाम में कोई अशुभ नहीं, क्योंकि दिन में इसका उच्चारण करने से किसी को गुरेज नहीं। हां, गांव का नाम सुबह में नहीं लेने की एक परिपाटी चल पड़ी है।

गांव के नाम से जुड़ी इस बदनामी से यहां का युवा वर्ग आहत है। ग्रामीण उमेश तिवारी, संतोश शर्मा व रिंकू उपाध्याय मानते हैं कि आज के वैज्ञानिक युग में किसी नाम को जुबान पर लाने से किसी का भाग्य नहीं बनता-बिगड़ता। लेकिन, वे परंपरा व अंधविश्वास को तोडऩे का साहस नहीं कर पाते हैं। बहरहाल, अंधविश्वास के जाल में फंसे सिवान के सिसवन प्रखंड में हर सुबह एक बेगूसराय बसता है।


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