Move to Jagran APP

योग इन बीमारियों में कारगर है, दिल्ली AIIMS ने भी लगाई मुहर, जानिए

योगा कई बिमारियों में कारगर है, यह डॉक्टरों ने भी कहा है। दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने भी कहा है कि योग से रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है, जानिए इस रिपोर्ट में....

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 12:17 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 10:26 PM (IST)
योग इन बीमारियों में कारगर है, दिल्ली AIIMS ने भी लगाई मुहर, जानिए
योग इन बीमारियों में कारगर है, दिल्ली AIIMS ने भी लगाई मुहर, जानिए

पटना [जेएनएन]। अगर आप योग दिवस के अवसर पर भी सिर्फ इसलिए योग नहीं कर रहे कि पता नहीं इससे कोई फायदा होगा या नहीं तो अब आपकी शंका का समाधान हो चुका है। इस बात के अब प्रमाण मिल गए हैं कि कई तरह के योगासन और क्रियाएं बीमारियों का निदान कर सकती हैं।

loksabha election banner

मंगलवार को एम्स में आयोजित एक कार्यक्रम में एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि योग को लंबे वक्त तक क्लिनिक में परख कर उनके फायदे को जाना गया है। उन्होंने कहा कि कई बीमारियों पर रिसर्च की गई, जिसमें योग का असर साफ दिखता है।

किन-किन बीमारियों में योग है जानिए......

अस्थमा और सीओपीडी 

इस बीमारी पर हो रही रिसर्च टीम का हिस्सा खुद एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया हैं। उन्होंने बताया कि क्लिनिक में किए गए टेस्ट बताते हैं कि अगर अस्थमा के पेशंट्स 10 दिनों तक सुझाए गए सही योगासन कर लें तो उन्हें बार-बार सांस फूलने की दिक्कत में आराम मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि सीओपीडी की समस्या से ग्रसित लोगों को भी अगर योगासन करवाया जाए, तो एक ही हफ्ते में इनहेलर की जरूरत कम पड़ती है और बाहर से लगाई जाने वाली ऑक्सीजन में भी कमी आती है। उन्होंने बताया कि इससे मरीज रोजमर्रा की परेशानियों से भी बचा रहता है।

मेटाबॉलिक सिंड्रोम में है कारगर

ये सिंड्रोम कई बीमारियों से मिलकर बना होता है। इनमें मोटापा, कॉलेस्ट्रॉल और बीपी जैसे लक्षण प्रमुख रूप से देखे जाते हैं। इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को डायबिटीज होने के चांस बाकी लोगों से 5 गुना ज्यादा और हार्ट डिजीज होने के चांस तकरीबन 2 गुना ज्यादा रहता है।

रिसर्च से पता चला कि इस सिंड्रोम की जड़ में स्ट्रेस का बहुत बड़ा हाथ है। इसके लिए 86 लोगों पर तकरीबन 10-10 दिनों तक कई तरह के योगासन करवाने से पता चला कि स्ट्रेस पैदा करने वाले हॉर्मोंस का लेवल घटा और स्ट्रेस कम करने वाले हॉर्मोंस का लेवल तेजी से बढ़ा। डिप्रेशन में भी योग काफी कारगर साबित हुआ है।

कार्यक्रम में भाग ले रहे डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ. राजकुमार यादव ने बताया कि कुछ दिनों पहले उनके पास 25-26 साल का एक इंजीनियर डिप्रेशन के हालात में आया जो आत्महत्या के बारे में लगातार सोच रहा था। उसे 1 महीने तक स्ट्रेस कम करने के लिए एक खास योग प्रोटोकॉल को फॉलो करवाया गया, जिससे उसे काफी आराम मिला।

बांझपन

डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोलॉजी की डॉ. के.पी. कोचर ने अपनी रिसर्च में पाया कि महिलाओं में बच्चे पैदा करने की क्षमता को भी योग के जरिए बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने रिसर्च के दौरान पाया कि कुछ ऐसे आसन और पॉश्चर हैं, जिन्हें करने से महिलाओं के पेड़ू के एरिया में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है और वहां की एनर्जी बढ़ जाती है।

डॉ. कोचर ने बताया कि योग सिर्फ शरीर से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि इसमें दिमाग भी बड़ा रोल अदा करता है। ऐसे में इसके कई हैरान करने वाले रिजल्ट भी सामने आते हैं। हालांकि, जरूरी नहीं है कि सभी पर योग क्रियाओं का असर बराबर मात्रा में हो।

डायबिटीज 

योग से डायबिटीज टाइप-2 में भी काफी राहत मिलती है। कई केसेज में तो मरीज को दवाइयों से भी मुक्ति मिल गई। डायबिटीज में हालांकि, टाइप-1 मरीजों पर योग का कोई खास प्रभाव देखने को नहीं मिला, लेकिन जिन्हें अलग से इंसुलिन की जरूरत नहीं पड़ती उनके लिए योग के जरिए अपनी बीमारी को मैनेज करने में काफी राहत मिली।

मोटापा

रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई कि अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसी क्रियाओं से मोटापे में कमी आती है। इन्हें भी कई लोगों पर परख कर देखा गया।

न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर

इस तरह की परेशानी में शामिल हैं मिर्गी आना या लकवा मार जाने जैसी परेशानियां। रिसर्च में यह पाया गया कि अगर मिर्गी के पेशंट्स को कुछ खास तरह के प्राणायम करवाए जाएं तो उन्हें इससे काफी फायदा मिलता है। इसके अलावा उनकी दवाओं में भी काफी कमी देखने को मिली। 6 महीने तक मेडिटेशन करने के बाद जब मिर्गी के पेशंट्स को जांचा गया तो फायदा पहुंचने वाली दिमागी अल्फा वेव्स में काफी बढ़त देखी गई।

स्ट्रोक की वजह से लकवा मार जाने की समस्या में एक खास प्रोटोकॉल के जरिए योग के कई आसनों को आजमाया गया। इससे यह साबित हुआ कि इस आसनों की वजह से न सिर्फ उनके बैलेंस में इजाफा हुआ बल्कि उनकी स्पीच और शरीर पर कंट्रोल भी बढ़ा।

पेट से संबंधित बीमारियां

पेट की एक खास बीमारी इमिटेबल बाउल सिंड्रोम से अमेरिका जैसा देश काफी पहले से परेशान है। अब इसके पेशंट्स देश में भी बढ़ रहे हैं। इसमें पेशंट को बेवजह किसी खास मौके पर पेट में तेज दर्द होता है और बार-बार टॉयलेट जानी पड़ती है। रिसर्च से पता चला कि इसका कारण पेट से जुड़ा न होकर दिमाग से जुड़ा है।

इसके निवारण के लिए डॉ. के. के. दीपक की टीम ने पेट पर जोर डालने वाले कुछ खास आसनों के साथ अनुलोम-विलोम में थोड़ा-सा बदलाव करके एक प्रोटोकॉल तैयार किया। उन्होंने पाया कि दाहिने नथुने से सांस लेने पर मेटाबॉलिज्म में तेजी आती है और परेशानी में राहत मिलती है।

करने में हिट, लैब में फिट, अनुलोम-विलोम का क्या है फायदा

दिल की बीमारियों से लेकर सांस की बीमारी के लिए यह फायदेमंद है। राइट साइड के नथुने से सांस लेने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है वहीं लेफ्ट साइड के नथुने से सांस लेने से ब्रेन की एक्टिविटी बढ़ जाती है और काफी आराम भी मिलता है। ब्लड प्रेशर में भी गिरावट देखी गई।

-धीमी भ्रस्त्रिका

इसे करने से स्ट्रेस में कमी देखी गई।

-कपालभाति

तेजी से सांस लेने और छोड़ने को लैब में परखा गया

ब्रेन तेजी से ऐक्टिव होता है बाकी शरीर को भी ऐक्टिव कर देता है।

-शीतली

 मुंह और नाक के जरिए की जाने वाली इस क्रिया को लैब में परखा गया।

-इससे सांस की बीमारियों में राहत मिलती है।

प्राणायाम की लैब रिपोर्ट

-धीमी स्पीड से किए जाने वाले प्राणायाम को हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए ज्यादा फायदेमंद पाया गया

-धीमी सांस लेने से हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर में काफी कंट्रोल देखा गया

-प्राणायाम के प्रभाव शरीर और दिमाग दोनों पर देखने को मिले। इसे करने वाले शारीरिक रूप से हेल्दी औऱ मानसिक रूप से काफी संतुलित नजर आए

-प्राणायाम करने वालों की मेमरी, फोकस करने की क्षमता और किसी समस्या से निपटने की ताकत ज्यादा नजर आई

-प्राणायाम करने के बाद पेशंट के स्ट्रेस लेवल में तेजी से कमी आई

चल रही है रिसर्च

कैंसर और हार्ट डिजीज पर हो रही रिसर्च को लेकर एम्स फैकल्टी काफी उत्साहित दिखी। एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि योग पर अलग-अलग डिपार्टमेंट में 20 ऐसी रिसर्च चल रही हैं, जिनके परिणाम लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगे।

उन्होंने कहा कि योग को सिर्फ एक्सरसाइज तक ही सीमित नहीं समझ लेना चाहिए बल्कि इसमें खानपान और रहन-सहन के तरीके को भी शामिल किया गया है। कोई ये न समझे कि योग करने से दवाइयों का रोल खत्म हो जाता है।

यह भी पढ़ें: तीन साल का यह योग गुरु, आसनों को करते देख दांतों तले दबा लेंगे अंगुलियां

योग दवाइयों को रिप्लेस नहीं कर सकता लेकिन रिकवरी को तेज और प्रभावी जरूर बना सकता है। कार्यक्रम में इस बात पर भी जोर दिया गया कि योग को सही तरह से करना जरूरी है वरना किसी बीमारी में फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।

यह भी पढ़ें: बिहार: इस 'नन्ही योगगुरु' का करतब देख हर कोई है हैरान, जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.