'पंचायतों से ही होगा ज्यादातर योजनाओं का कार्यान्वयन'
पटना, जागरण ब्यूरो : शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कहा कि चुनावों में जिस तरह से 'वोटिंग' का प्रतिशत बढ़ा है, उससे स्पष्ट है कि जनता अब शासन व्यवस्था से पूरी तरह से जुड़ना चाह रही है। यह प्रजातांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत अच्छी बात है। इससे शासकीय व्यवस्था में व्याप्त कमियां दूर होंगी। इसे ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार पंचायतों को सुदृढ़ीकरण करने का निरंतर प्रयास कर रही है। इससे पहले शिक्षा मंत्री पीके शाही ने जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं सामाजिक शोध संस्थान में बिहार शताब्दी वर्ष के अवसर पर 'पंचायती राज व्यवस्था और सुशासन' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन दीप जलाकर किया।
शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा पंचायत में लागू 50 प्रतिशत महिला आरक्षण और अति पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण व्यवस्था अब देश के लिए 'माडल' बन गया है। यहां तक कि दूसरे राज्य भी इस 'पंचायत माडल' को अपना भी रहे हैं। आने वाले दिनों में पंचायतों के माध्यम से ही ज्यादातर योजनाओं का कार्यान्वयन होगा। राज्य सरकार द्वारा सभी 8463 पंचायतों में 'पंचायत सरकार' स्थापित किया जा रहा है और इसके तहत प्रत्येक पंचायत का अपना सचिवालय होगा। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र का मतलब दिल्ली में बनी सरकार नहीं है बल्कि गांवों से शासन की व्यवस्था दिल्ली तक पहुंचे, यही प्रजातंत्र है।
आर्यभट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एसएन गुहा ने विशिष्ट अतिथि पद से कहा कि अनुशासन ही सुशासन का आधार है। प्रजातांत्रिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने की जरूरत है। अर्थशास्त्री डा. शैवाल गुप्ता ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था में निचले स्तर पर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से काम करने की सख्त जरूरत है। इससे पहले उच्च शिक्षा निदेशक और संस्थान के डायरेक्टर डा. सीताराम सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एसपी सिंह ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की, जबकि सरोज कुमार द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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