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बिहार चुनाव : प्रथम चरण में सात दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

प्रथम चरण की 49 सीटों के चुनाव के लिए शनिवार की शाम प्रचार खत्म हो जाएगा। इस चरण की सात सीटों को अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2015 01:22 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 07:56 PM (IST)

पटना [अरविंद शर्मा]। प्रथम चरण की 49 सीटों के चुनाव के लिए शनिवार की शाम प्रचार खत्म हो जाएगा। इस चरण की सात सीटों को अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

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यहां मतदान 12 अक्टूबर को होने हैं। सरायरंजन से राज्य सरकार के मंत्री एवं जदयू प्रत्याशी विजय कुमार चौधरी, अलौली से लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस एवं कहलगांव से कांग्र्रेस के टिकट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सदानंद सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।

चकाई में राजद ने भाजपा नेता स्व. फाल्गुनी प्रसाद यादव की पत्नी सावित्री देवी को प्रत्याशी बना दिया है। यहां नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित कुमार निर्दलीय मैदान में हैं। राजद सांसद बुलो मंडल की पत्नी वर्षा रानी बिहपुर से तथा जय प्रकाश यादव के भाई विजय प्रकाश जमुई से भाग्य आजमा रहे हैं। बरबीघा से कांग्र्रेस नेता राजो सिंह के पौत्र सुदर्शन भी पहली बार मैदान में डटे हैं।

सरायरंजन में विजय कुमार चौधरी के सामने भाजपा के रंजीत निर्गुणी हैं। विजय की साफ-सुथरी छवि के आगे नए निर्गुणी को काफी पसीना बहाना पड़ रहा है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती भितरघात से निपटने की है। यही कारण है कि भाजपा के बड़े नेताओं को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। इस सीट की अहमियत इससे समझी जा सकती है कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद खुद तीन दिनों से इसी क्षेत्र में डटे हैं। जातीय गोलबंदी यहां गुल खिला सकती है।

मुसहर बहुल अलौली में कांटे की टक्कर है। यहां पशुपति कुमार पारस के खिलाफ राजद ने चंदन कुमार को उतार दिया है। 1977 में पहली बार अलौली से विधायक बने पारस को 1980 में हार का मुंह देखना पड़ा था। हालांकि उसके बाद वह लगातार 30 साल तक यहां से चुने जाते रहे। 2010 में जदयू के नए प्रत्याशी रामचंद्र सदा ने उनके विजय अभियान पर ब्रेक लगा दिया था।

बरबीघा में तीन भूमिहारों में मुकाबला है। कांग्रेस के सुदर्शन और रालोसपा के शिवकुमार के बीच भाजपा के बागी रवि चौधरी निर्दलीय मैदान में हैं। यहां वोट बंटना तय है। कहलगांव में दिग्गज कांग्र्रेसी सदानंद सिंह की सांसें अटकी हुई हैं। 1969 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने सदानंद कई बार हारे और जीते। अबकी उनका मुकाबला लोजपा के नीरज मंडल से है।

चकाई में परंपरागत प्रत्याशियों में ही टक्कर है। सिर्फ दल बदले हैं, तेवर नहीं। जेएमएम के टिकट पर जीते सुमित कुमार सिंह निर्दलीय मैदान में हैं। मात्र 188 वोट से हार गए विजय सिंह इस बार भी लोजपा से खड़े हैं। एनडीए के ताबड़तोड़ प्रचार ने विजय उत्साहित हैं। राजद की सावित्री देवी भी कड़ी टक्कर दे रही हैं।

दो सांसदों की भी अग्नि परीक्षा

प्रथम चरण में राजद के 17 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें दो सांसदों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। भागलपुर के सांसद बुलो मंडल की पत्नी वर्षा रानी बिहपुर से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि मुंगेर के सांसद जय प्रकाश यादव के भाई विजय प्रकाश जमुई से भाग्य आजमा रहे हैं। उजियारपुर सीट से पूर्व सांसद आलोक मेहता खुद दो-दो हाथ कर रहे हैं। लालू प्रसाद ने सबके लिए जमकर पसीना बहाया है। प्रथम चरण में राजद के टिकट पर तीन महिला प्रत्याशी भी भाग्य आजमा रही हैं। मोहिउद्दीननगर से बबीता यादव, कटोरिया से स्वीटी सीमा तथा चकाई से सावित्री देवी मैदान में हैं। तीन सुरक्षित सीटों बखरी से उपेंद्र पासवान, अलौली से चंदन राम तथा पीरपैंती से राम विलास पासवान राजद के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।


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