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'जो बोले सो निहाल... सत श्री अकाल' के जयकारों से गूंजा पटना, खालसा पंथ के 325 वें स्थापना दिवस पर निकला कीर्तन

शुक्रवार को खालसा पंथ के 325 वें स्थापना दिवस (सृजना दिवस) की पूर्व संध्या को गुरुद्वारा गुरु का बाग से सिखों ने नगर कीर्तन निकाला। दोपहर लगभग चार बजे भजन-कीर्तन और प्रवचन के बाद नगर-कीर्तन निकला और गुरु का बाग से अशोक राजपथ के अलग-अलग इलाकों से घूमते हुए नगर कीर्तन शाम लगभग 730 बजे तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब पहुंचा।

By anil kumar Edited By: Shoyeb Ahmed Published: Sat, 13 Apr 2024 08:17 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2024 08:17 PM (IST)
खालसा पंथ के 325 वें स्थापना दिवस पर भजन कीर्तन करते हुए स्थानीय युवक

जागरण संवाददाता, पटना सिटी। खालसा पंथ के 325 वें स्थापना दिवस (सृजना दिवस) की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को गुरुद्वारा गुरु का बाग से सिखों ने नगर कीर्तन निकाला। भजन-कीर्तन और प्रवचन के बाद दोपहर लगभग चार बजे नगर-कीर्तन निकला।

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गुरु का बाग से अशोक राजपथ के विभिन्न क्षेत्रों से घूमते हुए नगर कीर्तन शाम लगभग 7:30 बजे तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब पहुंचा। पुष्प वर्षा के बीच धार्मिक नारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो रहा था।

विद्यार्थियों ने किया मार्च-पास्ट

बैसाखी जुलूस की अगुवाई पंज-प्यारे कर रहे थे। नगर-कीर्तन में श्री गुरु गोविंद सिंह बालक व बालिका उच्च व मध्य तथा श्री गुरु नानक सेंट्रल स्कूल के बच्चों का मार्च पास्ट आकर्षक था। रंग-बिरंगे पोशाक में सजे बच्चे विभिन्न वाद्य यंत्रों को बजा अपनी धुनों पर सबको झूमा रहे थे। वहीं आगे-आगे तलवार लिए विद्यार्थी चल रहे थे।

धार्मिक नारों से गूंजता रहा मुख्यमार्ग

वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह, राज करेगा खालसा, आकी रहे न कोय, बोले सो निहाल- सत श्री अकाल जैसे धार्मिक नारों से वातावरण गूंज रहा था।

भक्तिमय रहा माहौल

बैंड बाजों पर देहि शिवावर मोहि इहै.. आदि धार्मिक धुन माहौल को भक्तिमय बना रहे थे। सुशोभित रथ पर जत्थेदार सह मुख्य ग्रंथी ज्ञानी बलदेव सिंह, अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी दिलीप सिंह व गुरदयाल सेवा कर रहे थे। शोभायात्रा का मुख्यमार्ग में जगह-जगह स्वागत किया गया।

त्रिदिवसीय अखंड-पाठ की हुई समाप्ति

गुरु का बाग में तीन दिनों से चल रहे अखंड पाठ की समाप्ति शुक्रवार को हुई। इसके बाद हजूरी रागी जत्था भाई जोगिंदर सिंह, भाई दिनेश सिंह, आलमबाग लखनऊ पाटियाला के भाई कवलप्रीत सिंह व लखविंदर सिंह तथा होशियारपुर के भाई अवतार सिंह के शबद कीर्तन से संगत निहाल हुई। हजूरी कथावाचक ज्ञानी गगनदीप सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना पर प्रकाश डाला। जत्थेदार ज्ञानी बलदेव सिंह के अरदास व हुकूमनामा के साथ विशेष दीवान की समाप्ति के अटूट लंगर चला।

मार्ग की सफाई में जुटे श्रद्धालु

खालसा सृजना दिवस की पूर्व संध्या पर निकले नगर कीर्तन में शामिल महिला-पुरुष सिख श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और आस्था के साथ दशमेश गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराया। नगर-कीर्तन में आगे-आगे ऊंट व हाथी पर बच्चे सवार थे।

पीछे पांच बैंड-बाजा, कीर्तनी जत्था व पालकी के आगे पंज-प्यारे हाथ में तलवार लिए चल रहे थे। गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी जहां से गुजर रही थी उस पर श्रद्धालु फूलों की बारिश कर रहे थे।

मार्ग की झाड़ू से की जा रही थी सफाई

सिख श्रद्धालु नर-नारियों द्वारा मुख्य मार्ग पर जल छिड़काव कर झाड़ू से सफाई की जा रही थी। उसके पीछे सफाई किए गए मार्गों पर गेंदा के फूल का छिड़काव बच्चे, युवक-युवतियां व वृद्ध श्रद्धालु कर रहे थे। नगर कीर्तन में रथ के आगे पंच-प्यारे चल रहे थे। पीछे बीबी गुरचरण कौर व बीबी अमृतपाल कौर ढिल्लन के नेतृत्व में महिलाएं कीर्तन करते चल रही थी।

एक झलक पाने की लगी थी होड़

अशोक राजपथ में दोनों ओर नगर-कीर्तन की एक झलक पाने की होड़ लगी थी। सुरक्षा के मद्देनजर जगह-जगह पुलिस बल को तैनात किया गया था। नगर कीर्तन में शामिल श्रद्धालुओं के बीच शर्बत व खाद्य सामग्री का वितरण किया गया।

बैसाखी को लेकर तख्त श्री हरिमंदिर जी गुरुद्वारा की विशेष साज-सज्जा की गई है। खालसा सृजना दिवस का मुख्य समारोह शनिवार को मनाया जायेगा। इधर नगर-कीर्तन के तख्त साहिब पहुंचने पर कीर्तन दरबार सजा। इसमें कीर्तनी जत्थाओं ने शबद कीर्तन कर संगत को निहाल किया।

नगर कीर्तन में ये हुए शामिल

नगर कीर्तन में प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार जगजोत सिंह सोही, सदस्य एमपीएस ढिल्लन, हरपाल सिंह जौहल, सरदार अमरजीत सिंह शम्मी, प्रबंधक दलजीत सिंह, मंजीत सिंह, महाकांत राय समेत अन्य थे।

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