Bihar School Admission: नामांकन का तरीका अब बदल जाएगा! शिक्षा विभाग ने जिलों के अफसरों को दी नई गाइडलाइन
अगला अकादमिक सत्र एक अप्रैल से प्रारंभ होगा जिसमें सभी कक्षाओं के छात्रों का नामांकन शुरू होगा। अगले सत्र के लिए नामांकन 31 मार्च तक कर लिया जाना है। इस दौरान उन्हीं विद्यार्थियों का नामांकन सुनिश्चित करें तो सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई करने के इच्छुक हैं। केवल सरकारी योजनाओं का लाभ लेने या मुफ्त पाठ्य-पुस्तकों के लालच में जो छात्र नामांकन कराते हैं उसे रोकना होगा।
राज्य ब्यूरो, पटना। शिक्षा विभाग ने नए शैक्षणिक सत्र 2024-25 में फर्जी नामांकन पर रोक लगाने के प्रति सभी जिलों के अफसरों को आगाह किया है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने मंगलवार को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है।
इसमें कहा गया है कि अगला अकादमिक सत्र एक अप्रैल से प्रारंभ होगा, जिसमें सभी कक्षाओं के छात्रों का नामांकन शुरू होगा। अगले सत्र के लिए नामांकन 31 मार्च तक कर लिया जाना है। इस दौरान उन्हीं विद्यार्थियों का नामांकन सुनिश्चित करें तो सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई करने के इच्छुक हैं। केवल सरकारी योजनाओं का लाभ लेने या मुफ्त पाठ्य-पुस्तकों के लालच में जो छात्र नामांकन कराते हैं, उसे रोकना होगा।
नामांकन के समय इसका रखना होगा ध्यान
शिक्षा विभाग ने छात्रों के नामांकन के दौरान विशेष ध्यान देने को कहा है। जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल अभिलेख, आंगनबाड़ी अभिलेख,अभिभावक या माता-पिता द्वारा दिया गया घोषणा-पत्र को नामांकन के वक्त शामिल करें। छात्रों के आधार कार्ड पर भी नामांकन लिया जा सकता है। साथ ही, उच्चतर कक्षा में नामांकन के दौरान अभिभावक को भी बुलाकर भौतिक सत्यापन किया जाए एवं पिछली कक्षा का परीक्षा परिणाम की भी चर्चा अभिभावक से की जाए।
पिछले वर्ष 20 लाख फर्जी नामांकन काटे गए
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने अपने निर्देश में यह भी कहा है कि पिछले वर्ष शिक्षा विभाग द्वारा फर्जी नामांकन वाले छात्रों का नाम काटा गया था, जो विद्यालयों में लगातार अनुपस्थित थे। वर्ष 2023-2024 में कुल 23.97 लाख छात्रों के नाम काटे गए थे, इनमें से मात्र 3 लाख 98 हजार ही पुनः छात्रों ने आवेदन देकर नाम लिखवाया था।
शेष करीब 20 लाख छात्रों के नाम काटे जाने के बाद भी उन छात्रों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी अथवा प्रधानाध्यापक से संपर्क करने की आवश्यकता भी नहीं समझी। संभवतः ये छात्र या तो किसी अन्य निजी विद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे और हमारे विद्यालयों में केवल डीबीटी का लाभ लेने के उद्देश्य से नाम लिखाए हुए थे या ये छात्र अस्तित्व में ही नहीं थे।
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