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Lok Sabha Elections : 'आधी आबादी' को टिकट का इंतजार, सुपौल को छोड़ सीमांचल की 6 सीटों का एक दशक में ऐसा रहा हाल

Lok Sabha Elections लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है। इससे पहले बिहार में भी सियासी गहमागहमी तेज हो गई है। बहरहाल यहां सीमांचल में आने वाली 6 सीटों पर बीते एक दशक में आधी आबादी यानी नारी शक्ति अब भी टिकट के इंतजार में है। उम्मीद है इस बार महिला नेताओं को पार्टियां अपने उम्मीदवार के तौर पर सामने लाएंगी।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Yogesh Sahu Published: Tue, 12 Mar 2024 03:54 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2024 03:54 PM (IST)
Lok Sabha Elections : सुपौल को छोड़ सीमांचल की 6 सीटों का एक दशक में ऐसा रहा हाल

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। Bihar Politics Lok Sabha Elections : महिला आरक्षण और महिलाओं के हित की निरंतर बात करने वाले राजनीतिक दलों ने सीमांचल में महिलाओं को लोकसभा का प्रत्याशी बनाने में काफी कंजूसी बरती है।

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अगर सुपौल लोकसभा क्षेत्र को छोड़ दें तो विगत एक दशक में किसी भी राजनीतिक दल ने सीमांचल से किसी महिला को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया।

एक जमाने में माधुरी सिंह पूर्णिया से लगातार दो बार चुनी गई थीं

ऐसा नहीं है कि सीमांचल में एक या फिर डेढ़ दशक पहले लोकसभा चुनाव में महिलाएं नहीं रहीं। अस्सी के दशक में कांग्रेस (आई) व कांग्रेस की टिकट पर माधुरी सिंह पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से लगातार दाे बार सांसद रहीं।

वर्ष 2009 में पूर्णिया से शांति प्रिया नाम की एक महिला ने निर्दलीय चुनाव पूरी मजबूती से लड़ा था। पर वर्ष 2014 या फिर 2019 में किसी भी दल से कोई महिला इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं थीं।

कटिहार से अब तक केवल एक महिला सांसद

कटिहार लोकसभा क्षेत्र की कहानी यह है कि वहां से अब तक केवल एक महिला को लोकसभा में प्रतिनिधित्व का सौभाग्य मिला है।

वर्ष 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर प्रिया गुप्ता ने कटिहार से लोकसभा का चुनाव जीता था। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की बात तो छोड़ दीजिए किसी भी वर्ष के लोकसभा चुनाव में यहां किसी दल ने महिला को टिकट नहीं दिया।

अररिया से अब तक एक भी महिला सांसद नहीं

सीमांचल स्थित अररिया लोकसभा क्षेत्र की स्थिति यह है कि अब तक वहां से एक भी महिला लोकसभा नहीं पहुंची है। किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी महिला को चुनाव मैदान में नहीं उतारा।

किशनगंज की कहानी भी अररिया लोकसभा क्षेत्र की तरह ही

किशनगंज लोकसभा क्षेत्र की कहानी भी अररिया लोकसभा क्षेत्र की तरह ही है। वहां से भी अभी तक किसी महिला को लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला है।

सुपौल से 2014 में रंजीत रंजन को जीत मिली पर 2019 में हार गईं

सीमांचल में केवल सुपौल लोकसभा क्षेत्र ही इस श्रेणी का है, जहां से विगत एक दशक में किसी महिला को लोकसभा में जाने का मौका मिला।

वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर रंजीत रंजन को जीत मिली थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वह कांग्रेस की टिकट पर सुपौल से मैदान में थीं पर उन्हें जदयू के प्रत्याशी ने पराजित कर दिया था।

मधेपुरा से भी अब तक कोई महिला लोकसभा नहीं पहुंचीं

वीआईपी सीट के रूप में स्थापित मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र की स्थित भी यही है कि वहां से भी अब तक कोई महिला लोकसभा में नहीं पहुंची है। राजनीतिक दलों को ऐसी महिला नेता का नाम तय करने में सफलता नहीं मिली जो चुनाव जीत जाए।

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