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बिहार में कैदी आएंगे जेल से बाहर, कोरोना काल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिली राहत

कोरोना संक्रमण से बचाव के इरादे से राज्य सरकार जेलों की भीड़ कम करने जा रही है। उम्मीद है कि सप्ताह के आखिर तक कम सजा वाले कैदी जेल से बाहर आ जाएंगेे। इन्हें निकालने के लिए दो स्तर पर व्यवस्था की जा रही है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 06:50 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 06:50 PM (IST)
बिहार में कैदी आएंगे जेल से बाहर, कोरोना काल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिली राहत
बिहार की जेलों से कैदी बाहर आएंगे। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटनाः कोरोना संक्रमण से बचाव के इरादे से राज्य सरकार जेलों की भीड़ कम करने जा रही है। उम्मीद है कि सप्ताह के आखिर तक कम सजा वाले कैदी जेल से बाहर आ जाएंगेे। इन्हें  निकालने के लिए दो स्तर पर व्यवस्था की जा रही है। एक-जेल प्रशासन परोल के जरिए इन्हें जेल से बाहर करेगा। दूसरा-जिला एवं सत्र न्यायालय के स्तर पर अंतरिम जमानत के सहारे कैदियों को बाहर निकालने की कोशिश होगी। दोनों प्रक्रिया से बड़ी संख्या में कैदी बाहर आ जाएंगे।

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राज्य में छोटे-बड़े 59 जेल हैं। इनमें 44 हजार कैदियों को रखने की क्षमता है।  52 हजार कैदी रह रहे है। भीड़ के कारण जेलों में कैदियों के बीच शारीरिक दूरी नहीं रह पाती है। आशंका है कि संक्रमण की हालत में बड़ी संख्या में कैदियों की जान चली जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया है आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई को केंद्र को आदेश दिया कि कोरोना के मददेनजर वह जेलों में भीड़ कम करे। इसके लिए परोल और अंतरिम जमानत का विकल्प दिया गया है। सात साल से कम सजा वाले अपराध के कैदियों को प्राथमिकता देने की सलाह है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर जल्द से जल्द कार्रवाई का आग्रह किया। इस पत्र के आधार पर मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने शीर्ष अधिकारियों को अमल करने का आदेश दिया।

इन विन्दुओं पर हो रहा काम

जेल प्रशासन इस प्रयास में भी जुटा है कि कम सजा वाले कुछ कैदियों को स्थायी तौर पर जेल से बाहर निकाल दिया जाए। अच्छे आचरण के लिए कैदियों को राज्य सरकार साल में 90 दिन का अवकाश दे सकती है। जेल प्रशासन को 60 दिन और जेल अधीक्षक को 30 दिनों का अवकाश देने का अधिकार है। किसी कैदी को साल में इनमें से कोई एक प्राधिकार द्वारा स्वीकृत अवकाश मिल सकता है। गणना यह हो रही है कि साधारण अपराध वाले कितने कैदी इस अवकाश की मदद से बाहर निकल सकते हैं। यह अवकाश, जिसे परिहार कहा जाता है, अर्जित अवकाश की तरह सुरक्षित रहता है। प्राधिकारों को कहा गया है कि वे अवकाश की सिफारिश करें।

जमानत न मिलने से बढ़ी भीड़

कोरोना के चलते करीब एक साल से न्यायालयों में सिर्फ निहायत जरूरी मामले निबट रहे हैं। जमानत पर सुनवाई न होने के कारण इस दौरान मामूली अपराध के लिए भी जेल गए कैदी न के बराबर निकल रहे हैं। सरकार अपने वकीलों के जरिए जिला अदालतों में पैरवी करेगी कि जमानत मिलने योग्य मामलों की जल्द सुनवाई हो। अधिक से अधिक कैदियों को स्थायी न सही कम से कम अंतरिम जमानत मिल जाए।   

विभाग से मांगी गई अनुमति

जेल आइजी बिहार मिथिलेश मिश्रा ने कहा कि कैदियों को पेरोल पर रिहा करने के लिए विभाग से अनुमति मांगी गई है। अनुमति मिलते ही इस दिशा में पहल की जाएगी। फिलहाल कोरोना से बचाव के लिए जेल में कैदियों के वैक्सीनशन का काम जारी है।


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