दादी को बचाने के लिए मुनिया सारा पैसा कर देती है खर्च
ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ीं महिलाएं मंच पर मुखर थीं।
पटना। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ीं महिलाएं मंच पर मुखर थीं। ठेठ देसी अंदाज में संवादों की प्रस्तुति मंच पर देखने लायक थी। मौका था कुमार प्रतिभा प्रतिष्ठान अमरपुरा, नौबतपुर की ओर से रविवार को कालिदास रंगालय में सचिन चंद्रा लिखित एवं निर्देशित नाटक ' देख तमाशा बुढि़या का' के मंचन का। ये थी कहानी -
मुनिया को पढ़ने का बहुत शौक है, लेकिन उसकी दादी उसे पढ़ने देना नहीं चाहती। मुनिया अपनी दादी से स्कूल जाने की बात कहती है। इसके बाद उसे अपने ही घर में कैद कर लिया जाता है। उसके साथ अत्याचार होता है। घर में बूढ़ी दादी का हुक्म चलता है। उसके आगे मुनिया के माता-पिता भी काफी विवश हो जाते हैं। मुनिया भी दुखी रहती है। एक दिन सभी से नजरें बचाकर वह घर से बाहर निकल जाती है। उसके जाने से उसके माता-पिता के दिल पर दुख का पहाड़ टूटता है, वहीं दादी काफी खुश होती है। एक दिन दादी पैसे के लोभ में अपने नालायक पोते की शादी कर देती है। दहेज को लेकर वह लड़की वालों पर दबाव डालता है जिसके बाद पुलिस सक्रिय हो जाती है। इस घटना के बाद बूढि़या को हार्ट-अटैक आता है। घर की माली हालत ठीक न होने के कारण सही से उसका इलाज नहीं हो पाता। जब मुनिया को अपनी दादी की बीमारी के बारे में पता चलता है तो अपने पास के पैसे से दादी का इलाज करा उसे बचा लेती है। इस घटना के बाद दादी का दिल मुनिया के प्रति पिघल जाता है और वह मुनिया को हमेशा के लिए अपना लेती है।
मंच पर कलाकार -
सियामनी कुमारी, आरोही कुमारी, नीलू कुमारी, सुहानी कुमारी, तनु प्रिया, रामदुलारी देवी, गूंजा देवी, शीला कुमारी, चांदनी कुमारी, सावित्री कुमारी, प्रभा देवी, उमा सिंह, टुन्नी देवी, श्यामपरी देवी, संजू देवी ने उम्दा प्रस्तुति दी।