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जीपीओ में 2.02 करोड़ रुपये घोटाले की जांच को सीबीआइ को लिखा पत्र

पटना जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) के सरकारी खजाने से 2.02 करोड़ रुपये की अवैध रूप से निकासी के मामले में पोस्ट मास्टर जनरल ने जांच का अनुरोध सीबीआइ से किया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 06:56 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 06:25 AM (IST)
जीपीओ में 2.02 करोड़ रुपये घोटाले 
की जांच को सीबीआइ को लिखा पत्र
जीपीओ में 2.02 करोड़ रुपये घोटाले की जांच को सीबीआइ को लिखा पत्र

पटना। पटना जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) के सरकारी खजाने से 2.02 करोड़ रुपये की अवैध रूप से निकासी की पुष्टि हो गई है। आंतरिक जांच में मिले साक्ष्य के आधार पर मुख्य पोस्टमास्टर जनरल एमई हक ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को पत्र लिखकर आपराधिक मामले की जांच कराने का अनुरोध किया है। सीबीआइ अब आपराधिक कृत से संबंधित इनपुट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करेगी। विभागीय स्तर पर घोटाले में संलिप्त पांच कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है। कर्मियों ने बचाव के लिए 70 लाख रुपये सरकारी खजाने में वापस जमा भी कर दिए हैं।

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जीपीओ के कर्मियों ने गिरोह बनाकर पुराने परिपक्व बेनामी खाताधारकों के नाम पर राशि निकासी का खेल शुरू कर दिया था। बीते 3 अगस्त को एक गुमनाम पत्र से इस घोटाले का भडा फूटा और अबतक पांच कर्मी की संलिप्तता उजागर हुई है। विभागीय जांच में काउंटर क्लर्क से लेकर रिकॉर्ड रूम तक कर्मियों की मिलीभगत का पता चला है। अब तक 2.02 करोड़ रुपये जीपीओ के खजाने से निकासी करने में जिन कर्मियों का नाम उजागर हुआ है उनमें मुन्ना कुमार, राजेश कुमार शर्मा, सुजय तिवारी, सुधीर कुमार और आदित्य शामिल हैं। सभी को निलंबित किया जा चुका है।

: सीबीआइ जांच की तैयारी :

मुख्य पोस्टमास्टर जनरल के पत्र के आधार पर पटना में तैनात सीबीआइ के अधिकारी इनपुट एकत्र करा रहे हैं। पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर दोषी कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। चीफ पोस्टमास्टर जनरल के पत्र के आधार पर सीबीआइ अपने सूत्रों से पड़ताल कर रही है। कर्मियों और अधिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

: कंप्यूटर डाटा से घोटाला :

इंडिया पोस्ट ने हाल में ही अपने डाकघरों और ग्राहकों का डाटा कंप्यूटर में अपलोड किया है। इससे ऑनलाइन पता चल रहा है कि 70 और 80 के दशक में जमा की गई कितने ग्राहकों की राशि परिपक्व हो गई है। इनमें से बेनामी खाताधारकों को कर्मियों ने पहले लक्षित किया। खाताधारकों का फर्जी पहचान पत्र, हस्ताक्षर, अंगूठा निशान और पासबुक तैयार कर सरकारी खजाने से निकासी शुरू की। इसमें सत्यापन और अनुशंसा करने से लेकर रिकॉर्ड रूम के कर्मियों का गिरोह काम करने लगा। हिस्सेदारी के झगड़े में किसी ने गुमनाम पत्र लिखा और 3 अगस्त को भंडाफोड़ हो गया।

: घोटाला से अधिक पीएफ जमा :

जीपीओ के जिन कर्मियों ने मिलकर 2.02 करोड़ रुपये सरकारी खजाने की निकासी की है उससे कहीं अधिक पैसा उनके भविष्य निधि खाते में जमा है। एक कर्मचारी की दो-तीन साल नौकरी बची है तो कुछ की 20 साल नौकरी शेष है। अवकाश ग्रहण के समय कोई ऐसा नहीं है जिसे करोड़ रुपये नहीं मिलने वाले हैं। विभागीय अधिकारी इस बात से बेफिक्र हैं कि यदि सरकारी पैसा वापस नहीं किया तो भविष्य निधि और अन्य खाते से वसूल लेंगे।

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