थानों में अब होंगे दो अपर SHO, लेखक व मालखाना प्रभारी भी करेंगे काम, जानें कैसे Patna News
अब थानों में विधि-व्यवस्था संधारण और कांडों की जांच के लिए अलग-अलग अपर एसएचओ (स्टेशन हाउस ऑफिसर) थाना लेखक और मालखाना प्रभारी का पद होगा।
By Edited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 08:47 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 10:12 AM (IST)
पटना, जेएनएन। राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर थानों में कॉरपोरेट कल्चर विकसित कराने के लिए चार नए पदों का सृजन किया गया है। अब थानों में विधि-व्यवस्था संधारण और कांडों की जांच के लिए अलग-अलग अपर एसएचओ (स्टेशन हाउस ऑफिसर), थाना लेखक और मालखाना प्रभारी का पद होगा। सभी अपने कार्यो के लिए जिम्मेवार होंगे।
इनके ऊपर एसएचओ यानी थानाध्यक्ष रहेंगे, जिनका काम प्राथमिकी को रजिस्टर्ड करने के साथ सभी पुलिसकर्मियों की कार्यशैली पर नजर रखना होगा। एसएसपी गरिमा मलिक ने बताया कि नई व्यवस्था के अनुपालन का काम शुरू कर दिया गया है। 15 अगस्त पर यह व्यवस्था सभी थानों में लागू हो जाएगी। वर्तमान में थानों में लागू है ऐसी व्यवस्था वर्तमान व्यवस्था के तहत अब तक सभी जवाबदेही थानाध्यक्ष की होती रही है। उसके अलावा थाने में प्रतिनियुक्त वरिष्ठ दारोगा को अपर थानाध्यक्ष बना दिया जाता है। थानाध्यक्ष अपनी मर्जी से जिसे चाहते हैं, उसे कांड का जांचकर्ता बना देते और गश्ती की ड्यूटी लगाते हैं। थाने में प्रतिनियुक्त किसी पदाधिकारी को मालखाने का प्रभार दे दिया जाता है।
इसकी वजह से घटना के बाद जांच पूरी नहीं हो पाती। पीड़ित भटकता रहता है। गौरतलब है कि मालखाना व्यवस्थित नहीं रहने के कारण आज तक उसका ऑडिट नहीं हो सका। दो माह से लंबित मामलों में आई कमी एसएसपी ने बताया कि लोकसभा चुनाव के अंत तक जिले में लगभग 25 हजार विशेष और गैर विशेष प्रतिवेदित कांड लंबित थे। जांचकर्ताओं और पर्यवेक्षण पदाधिकारियों को टारगेट दिया गया था कि जिस स्तर पर कांड लंबित हैं, उसे पूरा किया जाए। युद्धस्तर पर अभियान चलाकर दो माह (मई व जून) में काफी हद तक लंबित कांडों का निस्तारण किया गया है। लंबित कांडों का वास्तिवक आंकड़ा जल्द अद्यतन कर दिया जाएगा।
इस तरह काम करेगी नई व्यवस्था
अपर एसएचओ (विधि-व्यवस्था) : - थाने के क्षेत्रफल के अनुसार इनके अधीन 25 से 50 पदाधिकारी और जवान रहेंगे, जिनका काम धरना, सभा और गश्ती पर ध्यान देना होगा। वे धरना, सभा आदि की रिकॉर्ड रखेंगे। कौन-सी सभा किस रास्ते से निकली, कौन-सी सभा, धरना और मोर्चा ¨हसक रहा, जैसी सूचनाएं कलमबद्ध करेंगे। इनका काम विधि-व्यवस्था को बनाए रखना होगा।
अपर एसएचओ (जांच)
विधि-व्यवस्था कार्य से बचे थाने में प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों और जवानों को जांच कार्य में लगाया जाएगा। पदाधिकारियों को कांड का जांचकर्ता बनाया जाएगा और जवानों को जांच कार्यो जैसे आसूचना व साक्ष्य संकलन आदि के लिए भेजा जाएगा। उन्हें पेशेवर बदमाशों की सूची बनाकर थानाध्यक्षों को भी सौंपना होगा। थाना लेखक
वरिष्ठ साक्षर सिपाही या एएसआइ संवर्ग के पुलिसकर्मी को थाना लेखक बनाया जाएगा। इनका काम स्टेशन डायरी अप-टू-डेट करने के साथ थाने के सभी कागजी कार्यो को करना होगा। वे वरीय अधिकारियों के कार्यालयों से आने वाले पत्रों को रिसीव करेंगे और उन्हें थानाध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। गश्ती में कौन-सी गाड़ी और किस पदाधिकारी व जवान को लगाया जाएगा, इसका पूरा रिकॉर्ड रखेंगे।
मालखाना प्रभारी
थाने के एक पदाधिकारी को मालखाने का जिम्मा सौंपा जाएगा। मालखाना प्रभारी का काम प्रतिदिन जब्ती सूची के अनुसार मालखाने में जमा करना और कोर्ट के आदेश पर चीजों को सौंपने का काम करेंगे। मालखाना पूरी तरह अप-टू-डेट होगा, ताकि उनके स्थानांतरण के बाद जब कोई दूसरा प्रभारी आए तो उसे कोई कठिनाई ना हो और सामान भी सुरक्षित रहे।
इनके ऊपर एसएचओ यानी थानाध्यक्ष रहेंगे, जिनका काम प्राथमिकी को रजिस्टर्ड करने के साथ सभी पुलिसकर्मियों की कार्यशैली पर नजर रखना होगा। एसएसपी गरिमा मलिक ने बताया कि नई व्यवस्था के अनुपालन का काम शुरू कर दिया गया है। 15 अगस्त पर यह व्यवस्था सभी थानों में लागू हो जाएगी। वर्तमान में थानों में लागू है ऐसी व्यवस्था वर्तमान व्यवस्था के तहत अब तक सभी जवाबदेही थानाध्यक्ष की होती रही है। उसके अलावा थाने में प्रतिनियुक्त वरिष्ठ दारोगा को अपर थानाध्यक्ष बना दिया जाता है। थानाध्यक्ष अपनी मर्जी से जिसे चाहते हैं, उसे कांड का जांचकर्ता बना देते और गश्ती की ड्यूटी लगाते हैं। थाने में प्रतिनियुक्त किसी पदाधिकारी को मालखाने का प्रभार दे दिया जाता है।
इसकी वजह से घटना के बाद जांच पूरी नहीं हो पाती। पीड़ित भटकता रहता है। गौरतलब है कि मालखाना व्यवस्थित नहीं रहने के कारण आज तक उसका ऑडिट नहीं हो सका। दो माह से लंबित मामलों में आई कमी एसएसपी ने बताया कि लोकसभा चुनाव के अंत तक जिले में लगभग 25 हजार विशेष और गैर विशेष प्रतिवेदित कांड लंबित थे। जांचकर्ताओं और पर्यवेक्षण पदाधिकारियों को टारगेट दिया गया था कि जिस स्तर पर कांड लंबित हैं, उसे पूरा किया जाए। युद्धस्तर पर अभियान चलाकर दो माह (मई व जून) में काफी हद तक लंबित कांडों का निस्तारण किया गया है। लंबित कांडों का वास्तिवक आंकड़ा जल्द अद्यतन कर दिया जाएगा।
इस तरह काम करेगी नई व्यवस्था
अपर एसएचओ (विधि-व्यवस्था) : - थाने के क्षेत्रफल के अनुसार इनके अधीन 25 से 50 पदाधिकारी और जवान रहेंगे, जिनका काम धरना, सभा और गश्ती पर ध्यान देना होगा। वे धरना, सभा आदि की रिकॉर्ड रखेंगे। कौन-सी सभा किस रास्ते से निकली, कौन-सी सभा, धरना और मोर्चा ¨हसक रहा, जैसी सूचनाएं कलमबद्ध करेंगे। इनका काम विधि-व्यवस्था को बनाए रखना होगा।
अपर एसएचओ (जांच)
विधि-व्यवस्था कार्य से बचे थाने में प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों और जवानों को जांच कार्य में लगाया जाएगा। पदाधिकारियों को कांड का जांचकर्ता बनाया जाएगा और जवानों को जांच कार्यो जैसे आसूचना व साक्ष्य संकलन आदि के लिए भेजा जाएगा। उन्हें पेशेवर बदमाशों की सूची बनाकर थानाध्यक्षों को भी सौंपना होगा। थाना लेखक
वरिष्ठ साक्षर सिपाही या एएसआइ संवर्ग के पुलिसकर्मी को थाना लेखक बनाया जाएगा। इनका काम स्टेशन डायरी अप-टू-डेट करने के साथ थाने के सभी कागजी कार्यो को करना होगा। वे वरीय अधिकारियों के कार्यालयों से आने वाले पत्रों को रिसीव करेंगे और उन्हें थानाध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। गश्ती में कौन-सी गाड़ी और किस पदाधिकारी व जवान को लगाया जाएगा, इसका पूरा रिकॉर्ड रखेंगे।
मालखाना प्रभारी
थाने के एक पदाधिकारी को मालखाने का जिम्मा सौंपा जाएगा। मालखाना प्रभारी का काम प्रतिदिन जब्ती सूची के अनुसार मालखाने में जमा करना और कोर्ट के आदेश पर चीजों को सौंपने का काम करेंगे। मालखाना पूरी तरह अप-टू-डेट होगा, ताकि उनके स्थानांतरण के बाद जब कोई दूसरा प्रभारी आए तो उसे कोई कठिनाई ना हो और सामान भी सुरक्षित रहे।
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