भभुआ तय करेगा बिहार में महागठबंधन का भविष्य, सदानंद सिंह ने दिया बड़ा बयान
भभुआ विधानसभा सीट पर दावेदारी को लेकर यूपीए के प्रमुख दलों में आर-पार के हालात हैं। सभी के अपने-अपने तर्क हैं, जिससे राजग के खिलाफ एकजुटता के सपने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पटना [जेएनएन]। बिहार में तीन सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर दोनों गठबंधनों की सियासी एकता तलवार की धार पर है। जहानाबाद विधानसभा सीट के लिए जहां राजग में तकरार है तो उत्तर प्रदेश से सटी भभुआ विधानसभा सीट पर दावेदारी को लेकर यूपीए के प्रमुख दलों में आर-पार के हालात हैं। एक ओर जहां राजद इस सीट पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने को पूरी तरह तैयार है तो दूसरी ओर कांग्रेस नेता सदानंद सिंह भी अपनी पार्टी के उम्मीदवार को यहां से मैदान में उतारने की जिद पर अड़े हैं। कहा कि हम भी यहां अपनी ताकत दिखायेंगे।
भाजपा विधायक आनंद भूषण पांडेय के निधन से खाली हुई भभुआ विधानसभा सीट पर राजद, कांग्रेस और बसपा में होड़ है। सभी दलों के अपने-अपने तर्क हैं, जिससे राजग के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता के सपने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ऐसे में लोकसभा-2019 से पहले राष्ट्रीय स्तर पर एकता का दावा करने वाले भाजपा विरोधी दलों की एकता की परीक्षा भभुआ में होनी है। राजद के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव भभुआ पर कांग्रेस के दावे को खारिज करते हैं और कहते हैं कि सामाजिक समीकरण और पकड़ के हिसाब से राजद का यहां मजबूत आधार है। भोला यह भी जोड़ते हैं कि कांग्रेस से मतभेद को बातचीत करके दूर कर लिया जाएगा।
भोला के दावे से इतर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी की भभुआ पर दावेदारी अटल दिख रही है। वह कहते हैं कि राजद अगर भुभआ देने के लिए राजी नहीं हुआ तो कांग्रेस भी तीनों सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। वहीं सदानंद सिंह ने भी यह कहा है कि कांग्रेस हर हाल में भभुआ सीट पर उपचुनाव लड़ेगी।
बिहार में महागठबंधन के बिखरने के बाद लालू प्रसाद ने दावा किया था कि भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय मोर्चा बनाने के लिए वह मायावती, मुलायम और ममता बनर्जी को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की पहल करेंगे। भभुआ में लालू के दावे की परख होनी है।
उपचुनाव में भागीदारी से जदयू के मुंह मोड़ लेने के बाद राजग में भभुआ को लेकर कोई किंतु-परंतु नहीं है। इस सीट को भाजपा की झोली में डाल दिया गया है। किंतु भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों की सहमति एक नहीं हो सकी है। 1990 के पहले कांग्रेस का यह मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन बाद में राजद ने यहां कब्जा जमा लिया।
हालांकि 2005 फरवरी के बाद से राजद भी कांग्रेस की तरह यहां लगातार पिछड़ता चला गया और मुख्य मुकाबले से भी गायब हो गया। 2005 के अक्टूबर में हुए चुनाव में बसपा ने भी यहां अपनी उपस्थिति दर्ज की थी। इसलिए मायावती की निगाह भी इस पर जमी हुई है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भरत बिंद का दावा है कि आलाकमान ने उन्हें चुनाव लडऩे की इजाजत दे दी है।
जहानाबाद में सुदय पर दांव
जहानाबाद की दावेदारी को लेकर राजग के दलों में भले घमासान है, लेकिन राजद ने अपना प्रत्याशी तय कर लिया है। लालू ने मुंद्रिका यादव के छोटे पुत्र सुदय यादव के नाम पर सहमति दे दी है। अब घोषणा की औपचारिकता भर बाकी है। मुंद्रिका के बड़े एवं छोटे बेटे की दावेदारी में मामला फंसा हुआ था। पार्टी ने सहमति बनाने की जिम्मेवारी परिवार को ही सौंप दी थी। मुंद्रिका की पत्नी ने छोटे बेटे पर रजामंदी दे दी है।