सरकार की कोशिशें हो रहीं फेल, अलर्ट कर रही बिहार में आबादी की वृद्धि दर
एसआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की तुलना में बिहार की जनसंख्या वृद्धि में गिरावट का सिलसिला थम गया है और इसमें बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जो चिंता का विषय है।
पटना [विकाश चन्द्र पाण्डेय]। बेशक स्थिति बहुत खराब नहीं, लेकिन आंकड़े खबरदार कर रहे। पिछले साल बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट का सिलसिला अचानक थम गया। यह दर स्थिर भी नहीं रहीं, बल्कि इसमें मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। 2015 में यह प्रति हजार 26.3 थी, जो 2016 में 26.8 हो गई। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) की यह रिपोर्ट हाल-फिलहाल जारी हुई है।
सही कहें तो 2014 के बाद से ही बिहार की जनसंख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही। पहले साल इसे तात्कालिक प्रभाव माना गया था, लेकिन दूसरे साल भी इसकी पुनरावृत्ति ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। एसआरएस के सर्वेक्षण महापंजीयक द्वारा कराए जाते हैं।
रिपोर्ट बताती है कि सन् 2015 में बिहार की जनसंख्या में 27 लाख 12 हजार 529 नए लोग जुड़े। 2016 में यह संख्या बढ़कर 27 लाख 64 हजार 98 हो गई। जनसंख्या में इस बढ़ोतरी की एक वजह प्रजनन दर है और दूसरी नवजात मृत्यु दर में अनवरत कमी।
जनसंख्या के लिहाज से बिहार तीसरा बड़ा राज्य है। देश की कुल आबादी में 8.58 प्रतिशत का योगदान। 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की आबादी 10.38 करोड़ थी, जो 2016 में 11.67 करोड़ हो गई। उपभोक्ता राज्य होने के नाते बढ़ती आबादी आर्थिक मोर्चे पर कई समस्याएं पैदा करेगी।
कुल प्रजनन दर
राज्य के 38 में से 36 जिले उच्च प्रजनन दर वाले हैं। इनमें पटना और अरवल का प्रजनन दर सर्वाधिक। एक महिला के बच्चे पैदा करने की क्षमता से प्रजनन दर का आकलन होता है। राष्ट्रीय औसत 2.2 की तुलना में बिहार में प्रजनन दर 3.4 है। परिवार विकास मिशन के लक्ष्य को इससे तगड़ा झटका लग रहा है।
मिशन ने 2025 तक बिहार में प्रजनन दर को 2.1 पर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 2016 की जनसंख्या वृद्धि इस लक्ष्य को ठेंगा दिखा रही है।
परिवार नियोजन
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 की रिपोर्ट बता रही कि महिलाओं पर परिवार नियोजन की जिम्मेदारी थोप कर पुरुष किनारा कर लिए हैं। बिहार में पुरुष नसबंदी की दर 2005-06 में 0.6 प्रतिशत थी, जो 2015-16 में शून्य हो गई।
इस दौरान गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल की दर में दस फीसद की गिरावट आई। यह 34.1 प्रतिशत से घट कर 24.1 प्रतिशत रह गई। कंडोम का इस्तेमाल दो से घट कर एक प्रतिशत पर आ गया। महिला बंध्याकरण 23.8 प्रतिशत से गिरकर 20.7 प्रतिशत पर पहुंच गया।
नवजात मृत्यु दर
पिछले पांच दशक में जन्म दर प्रति हजार 36.9 से घट कर 14.4 रह गई है। मृत्यु दर 14.9 से घट कर 6.8 पर। ऐसा चिकित्सा सुविधा के प्रसार के कारण हुआ। सन् 1971 में नवजात मृत्यु दर देश में प्रति हजार 129 थी, जो 2016 में 34 रह गई। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के मुताबिक यह 41 है। इस विरोधाभास के बावजूद नवजात मृत्यु दर में अपेक्षित सुधार हुआ। जनसंख्या पर इसका दबाव बढ़ा।
बढ़ रही जनसंख्या
- जनसंख्या वृद्धि दर में 2015 की तुलना में 2016 में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी
- एसआरएस की रिपोर्ट राष्ट्रीय औसत की तुलना में बिहार की स्थिति को बता रही चिंतनीय
- राज्य के 36 जिले उच्च प्रजनन दर वाले, उनमें पटना और अरवल आगे
जनसंख्या में साल-दर-साल बढ़ोतरी
(प्रति हजार व्यक्ति पर जन्म)
साल : बिहार : देश
2016 : 26.8 : 20.4
2015 : 26.3 : 20.8
2014 : 25.9 : 21.0
2013 : 27.6 : 21.4
2012 : 27.7 : 21.6
2011 : 27.7 : 21.8
राष्ट्रीय औसत की तुलना में बिहार की जनसंख्या में दशकीय वृद्धि
क्षेत्र : 1951 : 1961 : 1971 : 1981 : 1991 : 2001 : 2011
देश : 13.3 : 21.5 : 24.8 : 24.7 : 23.9 : 21.5 : 17.7
बिहार : 10.6 : 19.8 : 20.9 : 24.2 : 23.4 : 28.6 : 25.4
कुल प्रजनन दर
बिहार : 3.2
उत्तर प्रदेश : 3.1
मध्य प्रदेश : 2.9
राजस्थान : 2.8
भारत : 2.3