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फ्लैट खरीदने वालों के लिए खुशखबरी, अब नहीं होगी धोखाधड़ी, जानिए

बिहार सरकार ने सूबे के बिल्‍डरों के लिए रेरा 2017 के तहत 30 नवंबर तक ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। इससे उनकी मनमानी पर रोक लगेगी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 03:14 PM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 11:42 PM (IST)
फ्लैट खरीदने वालों के लिए खुशखबरी, अब नहीं होगी धोखाधड़ी, जानिए
फ्लैट खरीदने वालों के लिए खुशखबरी, अब नहीं होगी धोखाधड़ी, जानिए

पटना [राज्य ब्यूरो]। राज्य सरकार ने प्रदेश में बिल्डरों के लिए रियल इस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (रेरा) -2017 के तहत 30 नवंबर तक ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। मई से लागू अधिनियम के तहत अब न्यूनतम 500 वर्ग मीटर भूमि या 8 फ्लैट बनाने से लेकर बड़ी परियोजनाओं का प्राधिकार में पंजीकरण के बाद ही बिल्डर अपने  प्रचार प्रसार कर सकेगा।
 

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महत्वपूर्ण यह है कि निजी घर बनाने वालों को भी 8 फ्लैट बनाने पर पंजीकरण कराना होगा। नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने सख्ती से नगर निकायों को रेरा कानून पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं।

निर्माणाधीन और आने वाले प्रोजेक्ट का भी रेरा से सर्टिफिकेट प्राप्त किए बिना कोई भी बिल्डर भवन का निर्माण नहीं कर सकता। राजधानी में 5000 से अधिक निर्माणाधीन प्रोजेक्ट हैं। इसमें दानापुर, खगौल, बिहटा, नौबतपुर, पुनपुन, फतुहा तक निर्माण कार्य हो रहे हैं।
 

बिल्डरों की मनमानी पर नकेल

रेरा के लागू होते ही बिल्डरों की मनमानी के खिलाफ उपभोक्ताओं को एक मजबूत हथियार मिल गया है। अब रियल इस्टेट प्रोजेक्ट जिनका रेरा के तहत पंजीकरण हुआ है,  उसके बारे में ग्राहक रेरा के पोर्टल पर किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करा सकेंगे। शिकायत सीधे चेयरमैन को रेफर की जाएगी।

सूचना शिकायतकर्ता को भी दी जा जाएगी। पंजीकृत प्रोजेक्ट के संदर्भ में फ्लैट या व्यवसायिक प्रॉपर्टी खरीददारों को ऑफलाइन शिकायत की सुविधा उपलब्ध है। रियल स्टेट नियामक प्राधिकार (रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) इसके लिए शिकायत से संबंधित सभी दस्तावेज रेरा कार्यालय में जमा करना होगा।

ऐसा होगा जुर्माने का प्रावधान

रेगुलेटरी अथॉरिटी देर से प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन कराने वाले बिल्डरों पर जुर्माना भी लगा सकती है। यह राशि प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत का एक से 10 फीसदी तक हो सकती है।

बिना रजिस्ट्रेशन वाले प्रोजेक्ट की भी शिकायत

यदि किसी प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है, तो इसके बारे में भी शिकायत कर सकेंगे। प्रमोटर का नाम, ई मेल, प्रोजेक्ट का नाम, प्रोजेक्ट का पता, निवासी बिल्डिंग में रहने आए हैं या नहीं, इन सभी की जानकारी मेल करनी होगी। इसके बाद रेरा अधिकारी बिल्डर पर कार्रवाई करेंगे।

समय से पूरा करना होगा प्रोजेक्ट

अभी तक ग्राहकों की शिकायत थी कि उन्हें बिल्डर ने तय समय में फ्लैट की डिलीवरी नहीं दी। रेरा लागू होने के बाद बिल्डर को तय समय में फ्लैट की डिलीवरी करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर अथॉरिटी को जवाब देना होगा। अब एक्ट के तहत वेबसाइट के जरिए ग्राहकों को पूरी जानकारी उपलब्ध होगी और ग्राहकों के पास अधिक से अधिक ऑप्शन मौजूद होंगे।

अब नये कानून में डेवलपर को परियोजना में जो भी राशि प्राप्त होती है, उसका 70 फीसद राशि एक अलग बैंक खाता में जमा करना है। परियोजना के अभियंता, वास्तुविद एवं चार्टर्ड एकाउंटेट के प्रमाणपत्र के आधार पर उसी अनुपात में राशि की निकासी करनी है जिस अनुपात में परियोजना का औसत काम पूरा हुआ होगा। 

नक्शा में हेराफेरी पर नकेल

अपार्टमेंट के प्लान (नक्शा) में  कोई परिवर्तन या हेराफेरी भी नहीं किया जा सकेगा।  इसके लिए उपभोक्ताओं से लिखित अनुमति लेनी होगी। उपभोक्ता अपार्टमेंट में किसी तरह की त्रुटि के लिए कब्जे के एक वर्ष के बाद भी उसे ठीक करने की मांग कर सकता है।

बिहार अचल संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम 2017 के माध्यम से रियल स्टेट नियामक प्राधिकार के पूर्णकालिक स्थापना तक नगर विकास और आवास विभाग के प्रधान सचिव को प्राधिकार के रूप में नामित किया गया है।


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