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बिहार में बनी NDA-JDU की सरकार, जानिए क्या रहा वोटों का गणित

आज विधानसभा के विशेष सत्र में नए मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार और उनकी एनडीए के साथ बनी सरकार आज अपना बहुमत सिद्ध करेगी। जानिए क्या होगा पक्ष विपक्ष का गणित....

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 08:22 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 11:18 PM (IST)
बिहार में बनी NDA-JDU की सरकार, जानिए क्या रहा वोटों का गणित

पटना [जेएनएन]। बिहार विधानसभा का विशेष सत्र 28 जुलाई से आहूत की गई थी। शुक्रवार को विशेष सत्र के पहले दिन नीतीश कुमार ने विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध किया। लॉबी डिवीज़न में नीतीश के पक्ष में 131 और विपक्ष में 108 वोट पड़े। गुरुवार को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में नीतीश और सुशील मोदी के शपथ ग्रहण के तत्काल बाद  कैबिनेट की बैठक में विशेष सत्र का फैसला लिया गया। 

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जहां आज राजद  के 1 और कांग्रेस के 1 विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे, वहीं कांग्रेस विधायक सुदर्शन ने वोटिंग नहीं की। तबियत खराब होने की वजह से सुदर्शन ने नहीं दिया वोट।  राजद के राजबल्लभ यादव भी तबियत खराब होने की वजह से वोटिंग के लिए नहीं आए थे।                 

बिहार विधानसभा में जदयू और भाजपा ने लॉबिंग विधि के जरिए 131 विधायकों को लेकर विश्वास मत हासिल कर अपनी सरकार बनाई तो वहीं 108 वोट विपक्ष को मिले। इससे पहले साल 1997 में राबड़ी देवी के विश्वास   प्रस्ताव के बाद पहली बार लॉबी डिवीजन से मतदान हुआ था। 

नई सरकार के सामने विश्वास मत प्राप्त करने की अहम चुनौती थी

विधानसभा के विशेष सत्र में शुक्रवार को नई सरकार के सामने विश्वास मत प्राप्त करने की अहम चुनौती थी। नए गठबंधन के संख्या बल के हिसाब से इसमें ज्यादा मुश्किल नहीं दिख रहा था, किंतु हालात के मुताबिक विधायकों की सियासी शुचिता की अग्निपरीक्षा थी। दलीय समर्थन के बल पर सदन में वाणी, व्यवहार और बाहुबल का बेजा इस्तेमाल हुआ। 

सत्ता पक्ष ने 132 विधायकों के समर्थन का दावा किया था

243 सदस्यों वाली विधानसभा में सत्ता पक्ष ने तीन निर्दलीय समेत 132 विधायकों के समर्थन का दावा किया था, जबकि विपक्ष के साथ 111 विधायक थे। 

अध्यक्ष ने विधायी कार्य को सुचारू चलाने का सहयोग मांगा था

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सभी सदस्यों से शांत रहकर विधायी कार्यों को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करने की अपील की थी, किंतु पिछले 21 दिनों से राज्य में जारी तनावपूर्ण सियासी हालात सदन में पक्ष-प्रतिपक्ष के बीच के महाभारत की ओर संकेत कर रहे थे लेकिन प्रशासन की पूरी मुस्तैदी के बाद सब शांतिपूर्ण संपन्न हो गया।

पिछले कुछ सत्रों में सदनों में जनप्रतिनिधियों के हंगामा करने, कार्यवाही में बाधा पहुंचाने या अपनी हरकतों से सियासी मर्यादा को कलंकित करने की घटनाएं बढ़ी हैं। शालीनता, सहिष्णुता एवं विनम्रता की नजीरें धूमिल हुई हैं। विडंबना है कि खुद हमारे नुमाइंदों को इस बात की चिंता नहीं है कि उनके बर्ताव से जनता के बीच क्या संदेश जा रहा है। 

जानिए क्या था अनुमान

सत्ता पक्ष 

जदयू : 71

भाजपा : 53

लोजपा : 2

रालोसपा : 2

हम : 1

निर्दलीय : 3

कुल : राजग : 132 

विपक्ष

राजद : 80

कांग्र्रेस : 27

माले : 3

निर्दलीय : 1

कुल : 111

सत्तापक्ष को मिले 131 और विपक्ष को 108 

सबसे अधिक मजबूत विपक्ष 

नई सरकार की कवायद में इस बार प्रदेश को सबसे अधिक मजबूत विपक्ष मिला है। सत्ता पक्ष के पास अब 131 विधायकों का समर्थन है तो विपक्ष के पास 108 का। दोनों के बीच का अंतर सिर्फ 23 का है। ऐसा अरसे बाद हुआ है। इसे लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत माना जा सकता है। विपक्ष अगर अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से निभाएगा तो सत्ता पक्ष भी रास्ते से नहीं भटक सकता है। 

उल्‍लेखनीय है कि नीतीश कुमार ने बुधवार की शाम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके साथ ही 20 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार अचानक गिर गई। भाजपा के समर्थन से गुरुवार को नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह छठी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। वहीं, भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने उप मुख्‍यमंत्री शपथ ली।

नीतीश के इस्तीफे का कारण राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी के साथ नीतीश की तनातनी को माना जा रहा है। जदयू का कहना है कि तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन नीतीश के कहने के बावजूद उन्होंने इन आरोपों का तथ्यात्मक जवाब नहीं दिया।


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